जैन तीर्थस्थल परिचय
संख्या 3
सादर जय जिनेन्द्र,, मैं सुलभ जैन (बाह) ।। आज की भाववंदना में एक ऐसे तीर्थ पर चलते है, जिस स्थान या पर्वत के लिए ऐसा माना जाता है, कि यहाँ वर्ष में एक बार चन्दन कि बूँदें पूरी पहाड़ी पर गिरती है !
स्थान – खन्दारगिरी अतिशय क्षेत्र, गुना, म.प्र.
जिला गुना के ऐतिहासिक शहर चंदेरी से एक किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी क्षेत्र में खन्दारगिरी स्थित है। यहाँ मूर्ति कला के एक अनूठे उदाहरण के साथ पहाड़ियों पर छह गुफाओं में तीर्थंकरो की अति सुंदर मूर्तियों हैं ।
गुफा नंबर २ में भगवान आदिनाथ की एक उच्च खड्गासन प्रतिमा बहुत ही आकर्षक और चमत्कारी है। इन मूर्तियों को १३ वीं सदी से १६ वीं सदी के दौरान पहाड़ियों की चट्टानों को काटकर बनाया गया है !
यह पहाड़िया विंध्याचल पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा हैं।
घाटी में यहाँ चार मंदिरों का समूह हैं। प्राचीन समय में यह जगह जैन कला, संस्कृति और दर्शन का केंद्र थी, भट्टारकस यहाँ रहते थे। यह जगह ऐतिहासिक शहर चंदेरी से एक किलोमीटर दूर जंगलों में एक बहुत ही आकर्षक जगह से घिरे प्राकृतिक पहाड़ियों पर स्थित है ।
यहाँ दो छोटी धर्मशालाए हैं। आधुनिक सुविधाओं के साथ एक धर्मशाला चौबीसी बारा मंदिर, चंदेरी में उपलब्ध है।
बस – खन्दारगिरी के लिए ०६:००-२२:०० गुना और ललितपुर से उपलब्ध हैं।
ट्रेन – खन्दारगिरी से गुना रेलवे स्टेशन 160 किलोमीटर और ललितपुर रेलवे स्टेशन 40 किलोमीटर पर है !
निकटवर्ती तीर्थक्षेत्र – थूवोनजी २२ कि.मी., सैरोंजी २७ कि.मी., गोलाकोटा पचराई ५० कि.मी., देवगढ़ ६४ कि.मी.
इस पावन एवं अद्भुत धरा पर आकर दर्शन का लाभ अवश्य ले !
संकलनकर्ता
सुलभ जैन (बाह)