यश को कमा लेना कोई बड़ी बात नही है
जिसने वैराग्य से दीक्षा ली है इस ब्रह्मण्ड में उससे सुखिया जगत में कोई नही है
*बनाता नही हु जो बनना चाहता है उसको संस्कार जरूर दे देता हूं
वैराग्य होगा तो जाएगा कहाँ ओर राग है तो दीक्षा लेने आएगा क्यो
मुमुक्षु प्रणुत सागर यह दंद फंद मोक्ष मार्ग नही है
यदि प्रज्ञा है और पुण्य है तो हाथ से माला फेरो तो कल्याण हो जाएगा मालाओं से मोक्ष नही मिलता है मोक्ष निज आत्मा के ध्यान से मिलता है
हे माताओ घर को स्वर्ग बनाना चाहती हो तो नियम ले लो आग पर पानी तो डालेंगे लेकिन पानी मे आग नही लगाएंगे
:-आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज
वैभव बडामलहरा & अनुराग