59 वां अवतरण दिवस दादा गुरु विराग सागर जी महराज जी
भो ज्ञानी !! जैसे सूर्य के उदित होते ही सारे कमल खिल जाते है ऐसे ही आज गुरु विराग सागर जी ऐसे सूर्य है जिन्होंने आज बहुत सारे शिष्य रूपी कमल खिला रहे है।।
भो ज्ञानी !! जैसे बागवान प्रत्येक पौधे को पानी देता है ऐसे ही गुरु प्रत्येक शिष्य को आशीर्वाद देते है और शिक्षा देते है मित्र जैसे कोई वृक्ष की योग्यता जैसी है वैसा वह खिलता है या मुरझाता है ऐसे ही ज्ञानी !• गुरु जी सबको पढ़ाते है फिर शिष्य की अपनी योग्यता है कि वह खिलता है या फिर मुरझा कर छोड़कर चला जाता है।।
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