देशनोदय चवलेश्वर
*निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव शान्ति धारा निर्देशक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
पंचम काल मे साधार्मी भाव है आराध्य आराधक भाव नहीं हैं
1.पंचम काल छाया रहीत-पंचम काल में अनाथ जन्म होता है मिथ्यात्वदर्शन के साथ जन्म होता है अनंतानुबंधी कषाय के साथ जन्म लेता है मिथ्यादृष्टि का लोभी गुंडे आदि पालते हैं पंचम काल में पापी लोग बच्चों को जन्म ले लिया उसकी संपत्ति हड़प कर उसको छोड़ देते हैं पंचम काल में किसी की छाया नहीं है हम पर चौथे काल में गर्भ में ही छाया रहती है ज्ञान रहता है सम्यक दर्शन गर्भ में ही रहता है।
2.आगे का रास्ता बंद-कलयुग में मुनियों से उनके ऊपर कोई नहीं होता उनको समझाने वाला कोई नहीं उनको सही रास्ता बताने वाला नहीं है बड़े आचार्य कुंदकुंद समंतभद्र शांति सागर जी जैसे आचार्य कक्षा के प्रमुख हो सकते हैं लेकिन उनके आगे कोई नहीं होंगे चौथे गुणस्थान से छट्टे गुणस्थान के आगे तो सांतवे गुणस्थान वाले हैं।चौथे गुणस्थान वाले और उनके कोई गलती करें तो उन को संभालने वाले हैं सातवें गुणस्थान वाले संभाल लेते हैं कलयुग में आगे जाने वालों की लाल लाइट पीछे भी नहीं देखने वाली हैं आगे घनघोर अंधेरा दिख रहा है कैसे चले आगे।
3.सम्पत्ति का ज्ञान नहीं-स्वालंबन स्वतंत्रता अपने अस्तित्व को स्वीकार करना अपनी आत्मा मे लीन रहने वाले है सारे नगर की संपत्ति तुम्हारे पास और हम फुटपाथ पर सो रहे हैं कलयुग में जन्म लेने वाले तो अनाथ होता है चौथे काल में जन्म लेने वाला सर्वज्ञ का आशीर्वाद रहता है छाया रहती है हमारे सामने हमारा कोई अपना नहीं है आज आराध्य आराधक भाव नहीं बन पा रहा है साधार्मी भाव बन रहा है आजकल गुणस्थान व ज्ञान एक जैसा है मुनियों में एक जैसा है नीची कक्षा वाले मिल जाएंगे उन से आपको कुछ मिलने वाला नहीं है।
प्रवचन से शिक्षा-पंचम काल में अनाथ जन्म होता है।
सकंलन ब्र महावीर 7339918672 परम गुरु भक्त 12मई2021
नमनकर्ता-शांति बाई जैन सुंदरबाई जैन राजकुमार जैन मीरा जैन रमेश कुमार जैन,मुकता जैन,लाल चंद जैन,पूजा,बृजेश जैन,अंजली आस्था आज्ञा सिद्धि बजना जैन मंदिर
पुज्य सुधासागर जी के प्रवचनांश व अमृत सुधावाणी के लिए जुडे
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