देशनोदय चवलेश्वर
**निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव प्रखर चिन्तक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा*
*सच्चा भगवान होगा तो वह कभी हमारे अनुलूल होगा ही नही हमे भगवान के अनुकूल होना पड़ेगा*
1.भगवान के विपरीत-पर को देखने में आनंद आ रहा है वह कहता है आनंद नहीं है पांचों इंद्रियों की वस्तुओं में हमको आनंद आ रहा है जबकि वह आनंद है ही नहीं भगवान के विपरीत चल रहा है और अपना कल्याण सोच रहे हैं अनंत संसार में जाएंगे संसार में भटकना है हमारा विनाश होगा।
2.नीरस मे रस-महाशक्ति के विरोध में चलने पर हम टूटे चले जाएंगे महाशक्ति हमारे अनुकूल बनाओ नहीं तो महाशक्ति के अनुकूल होते जाओ भगवान कहते हैं हैं जिसमें रस नहीं उसमें रस लो जिसमें गंध नहीं उसमे गंध लो।जिसमे कोई पहचान नहीं उसमें उनको पहचान लो।
3.द्वदं चल रहा-हमारा वह त्रिकालिक शुद्ध स्वभाव जो आज अशुद्ध दशा में पड़ा मैं शुद्ध हु तो परतंत्रता की अनुभूति क्यों हो रहा है मैं भगवान हूं तो दिन हीन कि क्यों अनुभूति होती है मैं मालिक हूं तो नौकर पने की अनुभूति क्यों हो रही है जो तेरा है वह तो तुने आज तक अपना माना ही नहीं अनुभव जब जिनवाणी से टकराता है तो हर पग पग पर हम गलत आते हैं।
4.अनुकूल नहीं बन पाये-हमारी भगवान से पटरी नहीं बैठती गुरु से पटरी नहीं बैठती तो हम भगवान गुरु को छोंड देते हैं और गुटखा,शराब खाना नहीं छोडना
*प्रवचन से शिक्षा*-हमें भगवान बनना है तो नीरसपने मे रस का आनंद लेना।
*सकंलन ब्र महावीर* 7339918672 परम गुरु भक्त 21मई2021
नमनकर्ता-खेमचंद्रजैन,कुसुम जैन मुकेश कुमार जैन,स्नेहा जैन श्री दिगंबर जैन मंदिर लड़वारी टीकमगढ़
*पुज्य सुधासागर जी के प्रवचनांश व अमृत सुधावाणी के लिए जुडे*
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