देशनोदय चवलेश्वर
*निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मिथ्यात्व भंजक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
धर्मात्मा बनना है तो संकट आएंगे उपसर्ग भी आएंगे दुश्मन भी बढ़ेंगे हिम्मत है
1.संकट-जैन दर्शन कभी संकट को दूर नहीं करता है लेकिन जो जैन दर्शन की शरण में आ जाता है संकट उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता,राम के अलावा आठ बलभद्र हुए हैं लेकिन फिर भी उनकी इतनी ख्याति नही हुई जितनी रामचंद्र की हुई कमठ ने ही आज भगवान पार्श्वनाथ को इतनी ऊंचाइयों दी है उन्होंने संकट झेले हैं फिर भी समता परिणाम को नही छोड़ा और आज भी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हो गए
2.आलोचना-जैसी जैसी तुम्हारी इज्जत बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे दुनिया कीचड़ उछालने का प्रयास करती जाएगी यह दुनिया की रीत है।डाकू की कोई आलोचना नहीं करता,आलोचना तो मात्र साधु की ही होती है
3.नियत धारा-संसार की सभी व्यवस्था नियत प्रकृति ने अपने हाथ में ली और नियत को परिवर्तित करने का अधिकार हमारे हाथ में कर दिया प्रकृति के नियत आरा में जो बहता है वह साधक नहीं होता प्रकृति की नियत धारा के विपरीत चलता है वह साधक होता है नदी की धारा में बहने वाला कोई बड़ी बात नहीं प्रकृति की नियत धारा में चलने वाले को कोई फूल नहीं देता नियत धारा के विपरीत चलने वाले को गुलदस्ता मिलता है सहज वाले व्यक्ति प्रकृति के नियत द्वारा मैं नहीं चलते प्रकृति को मैं रोकुगां नहीं प्रकृति से नहीं रुकूंगा किसी के लिए बाधक नहीं बनना साधु क्या करता है साधु नियत को अनियत में बदलता है प्रकृति कहती है गर्मी में पानी पियो लेकिन साधु गर्मी में एक समय पानी पीता है ।
4.सारे लोग मुझे धोखा देंगे लेकिन मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगे क्योंकि मैंने किसी को धोखा नहीं दिया मैंने कभी किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं इसलिए मेरा कुछ भी कभी बिगड़ेगा नहीं
प्रवचन से शिक्षा-प्रकृति को मैं रोकुगां नहीं प्रकृति से नहीं रुकूंगा
सकंलन ब्र महावीर 7339918672 परम गुरु भक्त 1जुलाई2021
नमनकर्ता-सुनीता जैन शांति जैन अनीता जैन स्नेहा जैन रुचि जैन निशी जैन मनोज जैन ललिता जैन स्मिता जैन वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर रांची
पुज्य सुधासागर जी के प्रवचनांश व अमृत सुधावाणी के लिए जुडे
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