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17 एकड़ एरिये में 26 मंदिरों की श्रृंखला; 35 फीट गहरी नींव में लोहे-सीमेंट का एक कण नहीं, बिल्वा का फल, गुड़ और चूने का इस्तेमाल हुआ
मध्य प्रदेश के नेमावर में नर्मदा किनारे जैन मंदिर बनकर पूरा होने के करीब है। 1997 में आचार्य विद्यासागर जी महाराज की मौजूदगी में इसकी बुनियाद रखी गई थी। यहां त्रिकाल चौबीसी, पंचबालयती एवं सहस्त्रकूट के कुल 26 मंदिर बनाए गए हैं। 21 एकड़ में फैले परिसर में 17 एकड़ में मंदिर बने हुए हैं। राजस्थान के बंशीपुर पहाड़ के गुलाबी-लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। हाल ही में पंचबालयती मंदिर में 1 टन वजनी तांबे की प्रतिमाएं विराजित की गईं। अन्य 25 मंदिरों में भी काम पूरा होने के साथ सिलसिलेवार प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।
मंदिर निर्माण की विशेषता
जिनालय (जैन मंदिर) की नींव 35 फीट गहरी है। नींव में सीमेंट और सरिए का इस्तेमाल नहीं किया गया है। नींव को मजबूत बनाने के लिए बिल्वा (बेल) का फल, गुड़ और चूने का इस्तेमाल हुआ है। पत्थरों के जोड़ चिपकाने का यह प्राचीन तरीका है। पुराने किले, मंदिर और इमारतों में यह तरकीब इस्तेमाल की जाती थी। साथ ही लोहा अशुद्ध माना जाता है इसलिए इसका उपयोग नहीं किया है। मुख्य शिखर साढ़े छह फीट के पत्थर से बनाया जा रहा है। कहीं पर भी नर्मदा के मुहाने पर ऐसा भव्य जैन मंदिर नहीं है।
किसके हैं 26 मंदिर
- त्रिकाल चौबीसी के जिनालय में दो लाइन में 12-12 मंदिर यानी कुल 24 मंदिर बनाए गए हैं। इनमें जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की भूत, भविष्य और वर्तमान के तीनों स्वरूप की कुल 72 प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। ये प्रतिमाएं भी तांबे से ही बनाई गई हैं। हर प्रतिमा का वजन 650 किलो है। इसमें बंशीपुर पहाड़ के लाल-गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
- पंचबालयती के एक मंदिर में 5 तीर्थंकरों की शुद्ध तांबे से बनी प्रतिमाएं हैं। पद्मासन प्रतिमाओं का वजन 1 टन यानी 1000 किलो है। इस मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर की ऊंचाई 151 फीट है। मंदिर में लगाए गए पत्थर पर अब सोने की परत चढ़ाने की तैयारी है।
- 26वां मंदिर पीले पत्थरों से बना 131 फीट ऊंचा सहस्रकूट जिनालय है। अष्टधातु की 1008 प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी। पीले पत्थरों से ही संत निवास भी बना है।
ऐसे जा सकते हैं यहां
मध्य प्रदेश में इंदौर-बैतूल हाईवे पर नेमावर में मुख्य मार्ग से कुछ ही दूरी पर यह बना है। यहां मंदिर से नर्मदा पर बना नेमावर-हंडिया पुल पास में ही है। हाईवे के करीब ही ट्रस्ट की ओर से सुंदर प्रवेश द्वार बनाया गया है। प्रवेश द्वार से 200 मीटर के बाद मंदिर का परिसर शुरू होता है।