पवई पवई नगर के इतिहास में दिगम्बर जैन संत का पावन वर्षा योग की अनुमति प्रथम बार प्राप्त हुई हैं। बर्षा ऋतु में सूक्ष्म जीवों की करोड़ गुना वृद्घि हो जाती हैं इसलिए अहिंसा धर्म का पालन एवं दया के पात्र सभी जीवों की रक्षा हेतु सनातन धर्म की संस्कृति एवं आचार्य भगवन तथा मुनि महाराज वर्षा काल में चार माह तक एक स्थान पर रहकर चातुर्मास पावन वर्षा योग करते हुए स्व एवं पर की अर्थात अपनी एवं दूसरों की धर्म साधना त्याग तपस्या करने चातुर्मास हेतु कलश स्थापन करते हैं। जैन समाज पवई के विशेष निवेदन और आग्रह पर गणाचार्य परम् पूज्य १०८ श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमण मुनि परम पूज्य १०८ विनिश्चल सागर जी महाराज एवं छुल्लक परम् पूज्य १०५ श्री विभद्र सागर जी महाराज के द्वारा पवई में अनुकूलता के अनुसार चातुर्मास कलश स्थापन की अनुमति प्राप्त हुई जिसके अनुसार २४ एवं २५ जुलाई २०२१ गुरु पूर्णिमा पर श्री विद्या सागर गौशाला पवई से वृहद सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन के साथ कलश स्थापन की गयी। इस अवसर पर पवई सहित पन्ना जिला के सभी स्थानों से जैन समाज के सैकड़ों श्रद्धालु पवई पधारे। कार्यक्रम का संचालन प्रतिष्ठाचार्य पं. अभिषेक मैया जी के द्वारा किया गया एवं संगीत पार्टी मिनी जैन बैतूल के द्वारा आकर्षक मधुर भजनों के साथ कार्यक्रम में जैन युवा एवं बालिका मंडल पवई तथा जैन समाज के द्वारा परम पूज्य गणाचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज एवं आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज,आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज की संगीत मय पूजन के उपरांत श्रमण मुनि विनिश्चल सागर जी महाराज की अष्ट द्रव्यों से पूजन की गई। जिसके उपरांत मंगल कलश,गुरु कलश,ज्ञान कलश,श्रैयांगिरी कलश,श्री विद्या सागर गौशाला कलश का चयन बोलियों के माध्यम से किया गया। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान जैन समाज पवई के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का आभार चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष सुनील कुमार जैन एल आई सी के द्वारा किया रात्री में वृहद आरती का आयोजन किया गया।
