आज मित्रता दिवस है और वर्तमान में मित्रता का इससे उत्कृष्ठ परिणाम कहीं और नहीं मिल सकता
हाँ वही मित्रता जो विद्याधर के बाल सखा मारुति ने निभाई थी
उन्होंने मूंगफली बेचकर 12 रुपए विद्याधर को दिए थे जो उनकी मेहनत की कमाई थी
और वो अन्तर्यात्री महापुरुष उन पैसों से यात्रा कर धन्य धरा अजमेर पहुंचे थे
तब भला कौन जानता था वो अनियत विहारी मोक्ष मार्ग पर पहुंचे थे
मारुति की मित्रता के वो 12 रूपए अब मूल्य की मर्यादा से परे हो गए हैं। इससे उत्कृष्ठ परिणाम कहीं और नहीं मिल सकता
क्योंकि उस मित्र के सहयोग से बालक विद्याधर आज राष्ट्रसंत विद्यासागर हो गए हैं
ऐसी मित्रता को नमन ऐसे मित्र को नमन
