श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प0पू0 मुनिश्री विनिष्चल सागर जी महाराज ने दिये विषेष मंगल प्रवचन
भव्य पावन वर्षायोग पवई में प्रतिदिन रहती है श्रद्धालुओं की भीड

पवई। श्री कृष्ण जी जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान के चचेरे भाई थे। श्री कृष्ण जी के पिता वासुदेव और नेमिनाथ भगवान के पिता समुद्र विजय भाई थे। 30 अगस्त 2021 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुनिश्री विनिश्चल सागर जी मुनिराज ने प्रवचन में बताया कि जैन शास्त्रों में श्री कृष्ण को अतिविशिष्ट 63 शलाका पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है। जिनमें 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव तथा 9 प्रति वासुदेव हैं। नेमिनाथ (अरिष्ट नेमि) 22वें तीर्थंकर तथा श्री कृष्ण नौवें अंतिम वासुदेव हैं। शलाका पुरुष अत्यंत तेजस्वी, वर्चस्वी, कांतिमय, अल्पभाषी, प्रियभाषी, सत्यभाषी, सर्वांग सुंदर, ओजस्वी, प्रियदर्शी, गंभीर, अपराजेय आदि गुणों से संपन्न होते हैं। त्याग तपस्या साधना एवं कडे नियमो के साथ संयम पूर्वक दिन चर्या का पालन करने वाले जैन संत परम पूज्य गणाचार्य 108 श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक षिष्य परम पूज्य मुनिश्री 108 विनिष्चल सागर जी महाराज का पावन वर्षायोग चातुर्मास 2021 पवई में चल रहा है। जैन समाज पवई द्वारा प्रतिदिन मंदिर जी में भगवान का अभिषेक पूजन के पष्चात प्रातः 8ः30 बजे से रत्नकरण्य श्रावकाचार के ष्लोको की व्याख्या अर्थ सहित क्लास के साथ मंगल प्रवचन का लाभ श्रावको द्वारा लिया जा रहा है। चातुर्मास कमेटी एवं जैन समाज पवई विषेष अनुरोध एवं निवेदन पर प्रत्येक रविवार को दोपहर 03 बजे से श्रावको के आत्म कल्यण हेतु मंगल प्रवचन महाराज श्री के द्वारा मिल रहे है। जिसमें पवई नगर के अलावा दूर दूर से श्रद्धालु जन मंगलमयी प्रवचन का लाभ लेने एवं दर्षन करने आते है।