हर्षोल्लास और भक्ति-भावना के साथ मनाया जा रहा पर्यूषण पर्व

JAIN SANT NEWS Panna

जैन दर्शन एक महान दर्शन है , जिसमें कि बहिरंग शुद्धता के साथ साथ अंतरंग शुद्धता पर भी ध्यान दिया जाता है । पर्व- अवसर को कहते हैं । दशलक्षण धर्म दस प्रकार के होते हैं- उत्तम क्षमा , उत्तम मार्दव , आर्जव , उत्तम शौच , उत्तम संयम , उत्तम तप , उत्तम त्याग , उत्तम आकिंचय और उत्तम ब्रह्मचर्य पयूषण पर्व में इन दस दिनों में इनमें से एक – एक धर्म की भावना निभाई जाती है । यह पर्व भाद्रपद सुदी पंचमी से भाद्रपद पूर्णिमा तक मनाया जाता है । इन दस दिनों में त्याग का जीवन जिया जाता है , श्रावक इन दिनों में हिंसा से कोसों दूर संयमित जीवन जीते हैं । भोजन भी सूर्य के प्रकाश में ही करते हैं । श्री 1008 दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर धाम पन्ना में आचार्य श्री 108 विभव सागर जी महाराज की शिष्या श्री 105 आराधना श्री माताजी व क्षु . श्री 105 साधना श्री माता जी का चार्तुतास भी चल रहा है । पयूषण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा के दिन सभी जीवों की रक्षा करो , सबको क्षमा करो , यह उपदेश श्रावकों को दिया । पर्वराज पर्युषण के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया गया । पूज्य 105 आराधना श्री माता जी के द्वारा प्रवचन में श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा मार्दव अर्थात मान ( घमंड ) तथा दीनता हीनता का अभाव और वह नाश जब आत्मा के श्रद्धान सहित होता है तब उत्तम मार्दव धर्म नाम पाता है । जब सब कुछ क्षणभंगुर है , टिकने वाला नहीं है , कुछ समय पश्चात नाश हो ही जायेगा तो किसका घमंड करना , किसकी दीनता – हीनता माननी । जब सभी जीवों के पास समान रूप से अनंत गुण हैं तो मान किस बात का । आगे माताजी ने श्रावकों से उत्तम मार्दव धर्म का पालन करते हुए मान से रहित होकर सभी से अनुकूल व्यवहार करते हुए वाणी में सदैव मधुरता रखनी चाहिये क्योंकि जो जीव अपने से बड़े जनों की विनय करते हैं उन्हे ही सम्यक ज्ञान की प्राप्ति होती है ।

सुबह से रात्रि तक आयोजित हो रहे धार्मिक कार्यक्रम

दस लक्षणों के पर्युषण पर्व पर सुबह सवा 5 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है । सुबह प्रातः 5.15 से 6.15 प्रातःकाल स्त्रोत पाठ एवं ध्यान , प्रातः 6.30 से 8.30 अभिषेक , शांतिधारा एवं भक्तिमय पूजा – अर्चना , प्रातः 8.30 से माताजी के मंगल प्रवचन , प्रातः 10 बजे माताजी की आहार चर्या , दोपहर 4 बजे से जैन भूगोल का अध्ययन प्रोजेक्टर के माध्यम से डॉ . शशी दीदी द्वारा , सायं 5 से 6 बच्चों की पाठशाला , सायं 6.30 से 7 बजे सामायिक प्रतिक्रमण , सायं 7 से 8 दशलक्षण धर्मों पर प्रवचन , रात्रि 8 से 10 सांस्कृतिक कार्यक्रम हर दिन आयोजित किये जा रहे हैं । इस अवसर पर नगरवासियों द्वारा अत्यंत हर्षोल्लास व भक्ति भावना के साथ धर्म लाभ उठाया जा रहा है । तप , त्याग और साधना के पावन पर्व पर्दूषण के चलते चंचल जैन द्वारा देशवासियों से अपील की गई है कि इस पावन पर्व के 10 दिन र्निदोष मूक प्राणियों को अभय का दान देकर , शाकाहार का सेवन करें एवं पयूषण का हिस्सा बन अपने अशुभ कर्मों का क्षय करें व सुख स्वास्थ्य समृद्धि व उत्तम स्वास्थ लाभ पाएं ।

दूसरे दिन मनाया गया मार्दव धर्म पर्व मार्दव धर्म

संसार का नाश करने वाला है । मान का मर्दन करने वाला है , दया धर्म का मूल है , विमल है , सर्वजीवों का हितकारक है और गुण गणों में सारभूत है । इस मार्दव धर्म से ही सकल व्रत और संयम सफल होते हैं । मार्दव धर्म मान कषाय को दूर करता है । मार्दव धर्म पाँच इन्द्रियों और मन का निग्रह करता है । चित्तरूपी पृथ्वी के आश्रय से करुणारूपी नूतन बेल मार्दवरूपी धर्म पर फैल जाती है । मार्दव धर्म जिनेन्द्र देव की भक्ति – को प्रकाशित करता है , मार्दव धर्म कुमति के प्रसार को , रोक देता है । मार्दव धर्म से बहुत अधिक विनयगुण प्रवृत्त 7 होता है और मार्दव धर्म से मनुष्यों का बैर दूर हो जाता । है । मार्दव से परिणाम निर्मल होते हैं , मार्दव से उभय । लोक की सिद्धि होती है । मार्दव से दोनों प्रकार का तप सुशोभित होता है और मार्दव से मनुष्य तीनों जगत को – मोहित कर लेता है । मार्दव धर्म से जिन शासन का ज्ञान होता है तथा अपने और पर के स्वरूप की भावना पायी जाती है । मार्दव सभी दोषों का निवारण करता है और यह मार्दव ही जीवों को जन्म समुद्र से पार कराने वाला है ।

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