
बड़ामलहरा | सत्य धर्म उस पर चलकर दिखाने वाला धर्म है । यह उद्गार जनसंत विरंजन सागर महाराज ने निर्माणाधीन जैन मंदिर में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए । मुनिश्री ने कहा कि गुरु सत्य महाव्रत धारण करते हैं । सत्य कड़वा नहीं होता सत्य उन्हें कड़वा लगता , जिनके मुंह में कड़वाहट होती है । असत्य पर चलने वाले व्यक्ति में सत्य को पचाने की हिम्मत नहीं होती है । सत्य को जीवन में उतारा जाता है , जो उतार लेता है , वहीं मोक्ष मार्ग पर चल पाता है । पहले सत्य की खोज करनी पड़ती है , फिर उस पर चलना पड़ता है । सत्य पूर्ण है सत्य धर्म यही सिखलाता आता है कि ऐसे वचन बोलो जो हितकर हो मजाक में बोला गया झूठ से भी कर्मबंध होता है । ऐसे वचन मत बोलो , जिससे किसी को ठेस लगे या तिरस्कार हो , यह भी असत्य की श्रेणी में आते हैं । प्रातः कालीन वेला में जिनेंद्र प्रक्षाल पुष्पदंत नाथ भगवान का मोक्षकल्याणक अवसर पर निर्वाण लाड़ भी समर्पित किया गया । सायंकालीन बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी ।