
सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा रविवार को पर्युषण पर्व का उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म , अनंत चतुर्दशी पर्व तथा जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासु पूज्य का मोक्ष कल्याणक मनाया गया। इस अवसर पर निर्माणाधीन दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर में जिनेन्द्र भगवान का कलशाभिषेक एवं चौबीस श्रीजी की वृहद् शांतिधारा एक साथ की गई। जिसका वाचन मुनिश्री विरंजन सागर ने किया। भगवान वासु पूज्य के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर पूजन के बाद निर्वाण कांड का सामूहिक उच्चारण कर श्रद्धालुओं ने मोक्ष के प्रतीक स्वरूप निर्वाण लाड़ चढ़ाया। इस दौरान मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। दोपहर में ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए मुनिश्री विरंजन सागर ने कहा कि ब्रह्म जिसका मतलब आत्मा , और चर्या का मतलब रखना , इसको मिलाकर ब्रह्मचर्य शब्द बना है। ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा में रहना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपको पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त होगी और ऐसा न करने पर , आप सिर्फ अपनी इच्छाओं और कामनाओं के गुलाम ही रहेंगे।