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#विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)
दवाओं ने आराम न पहुँचाया सो एक दिन नेत्र विशेषज्ञ आ पहुँचे भक्तों के साथ उनने देखा दाखी की परामर्श दिया चश्मा लगाना पड़ेगा। गुरु ज्ञानसागरजी चकित, इतनी सी उम्र में चश्मा! न कोई और बात करो। चले गए विशेषज्ञ ।
आँख का दर्द न घट रहा था न बढ़ रहा था, एक सा चल रहा था कुछ दिनों से तब तक एक दूसरे डाक्टर लाए गए श्रावकों द्वारा उनने भी नेत्रों का निरीक्षण किया।
एक पुस्तक के कुछ पृष्ठों को पढ़वाकर देखा, विद्यासागरजी ने खटाखट पढ़ दिये। सुनकर डा. बोले वैरीगुड, कोई आवश्यकता नहीं चश्मा लगाने की सब श्रावक खुश। फिर डा. साहब बोले, दवाई से ठीक हो जायेगी। सभी तो नहीं, किंचित् दवाओं की स्वीकृति दे दी विद्यासागरजी ने धीरे धीरे दवा डालने से आराम लगा और दो माह से आँखों को जलाने वाले रोग की कर्मों की तरह निर्जरा हो गई।
पोस्ट-114…शेषआगे…!!!