“राष्ट्रपति भवन में सर्वोच्च जैन साध्वी का मंगल उद्बोधन”

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देश के इतिहास में स्वर्णिम दिवस
“राष्ट्रपति भवन में सर्वोच्च जैन साध्वी का मंगल उद्बोधन”

भारत गणतंत्र के राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ जी कोविंद के व्यक्तिगत आमंत्रण पर जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भरतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का मंगल आगमन बड़े आत्मीय एवं विशिष्ट आदर सम्मान के साथ दिनांक 14 नवम्बर 2021 को प्रातः 9.30 बजे राष्ट्रपति भवन में हुआ। सर्वप्रथम संघ सहित पधारीं पूज्य माताजी का साउथ कोर्ट के प्रवेश द्वार पर राष्ट्रपति जी के सचिव महोदय ने अभिवंदन किया। पुनः गाइड के माध्यम से 350 एकड़ में विकसित राष्ट्रपति भवन के विभिन्न विशेष स्थानों पर समस्त संघ को भ्रमण कराया गया, जिसमें अशोका हॉल, दरबार हॉल, मुग़ल गार्डन आदि स्थान शामिल रहे।

राष्ट्रपति महोदय ने उत्साह के साथ अपनी धर्मपत्नी प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद और पुत्री के साथ पूज्य माताजी को प्रणाम किया और अपने बैठक कक्ष में आमंत्रित कर लगभग 25 मिनट पूज्य माताजी एवं उनके साथ प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी व पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी से व्यक्तिगत चर्चा, वार्ता की। पूज्य माताजी के बैठने की व्यवस्था ससम्मान काष्ठ के तख़्त व सिंहासन पर की गयी।

पश्चात् राष्ट्रपति भवन के YDR हॉल में एक सामूहिक उद्बोधन सभा का आयोजन हुआ। सभा के शुभारम्भ में जंबूद्वीप संस्थान की ओर से श्री सुरेश जैन कुलाधिपति, मुरादाबाद, श्री प्रमोद जैन वर्धमान ग्रुप, मॉडल टाउन दिल्ली, श्री अतुल जैन-जैन सभा, नई दिल्ली, पं. विजय जैन एवं डॉ. जीवन प्रकाश जैन-जंबूद्वीप द्वारा उन्हें गुलदस्ता व प्रतीक चिन्ह भेंट किया गाय।

पुनः राष्ट्रपति जी ने पूज्य माताजी के साथ पधारे सभी ब्रह्मचारिणी बहनों व अतिथियों से परिचय प्राप्त किया। उद्बोधन सभा में सर्वप्रथम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने मंगलाचरण पूर्वक राष्ट्रपतिजी व भवन के सभी ऑफ़िसर के लिए अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। पुनः पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने अनेक जनकल्याण व समाज उद्धार की बातों व अहिंसा धर्म पर बल देते हुए देश के लिए अपना सारगर्भित उद्बोधन देकर राष्ट्रपति व उनकी धर्मपत्नी प्रथम महिला और पुत्री के प्रति असीम प्रेम के साथ अपना मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। इस अवसर पर पूज्य माताजी ने राष्ट्रपति जी को जैन धर्म के परिप्रेक्ष्य में अयोध्या का महत्व भी विस्तार के साथ बताया और वर्ष-2022 को “शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या तीर्थ विकास वर्ष” के रूप में मनाने की घोषणा की।

अंत में राष्ट्रपति जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का राष्ट्रपति भवन में आगमन होना हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। उन्होंने अपने उद्बोधन में पूज्य दोनों माताजी के लिए विशेष श्रद्धा अभिव्यक्त की और रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी को सम्बोधित करते हुए माँगीतुंगी-कार्यक्रम का भी उल्लेख किया। राष्ट्रपति जी ने अपने उद्बोधन में पूज्य माताजी की 88वीं जन्मजयंती पर शरदपूर्णिमा महोत्सव को सारे देश द्वारा मनाए जाने का भी उल्लेख किया और पूज्य माताजी की 70 वर्षीय साधना का भी उल्लेख कर उन्हें सादर प्रणाम किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति जी ने पधारे सभी त्यागीव्रतियों के त्याग की भी सराहना की। उन्होंने अपने उद्बोधन में अहिंसा की महत्ता पर भी विचार व्यक्त किए। कक्ष वार्ता में गौरव के साथ राष्ट्रपति जी ने 12 वर्ष बाद पूज्य माताजी की शताब्दी जन्मजयंती मनाने की भी उज्ज्वल भावनाएँ व्यक्त की।

अंत में पुनः सभी के अभिवादनपूर्वक सभा का समापन हुआ। ये महान क्षण निश्चित ही देश और जैन समाज के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ पर लिखे जाने योग्य बनें हैं, इस बात का सभी को गौरव है।

समारोह के साक्षी बनने का सौभाग्य पूज्य माताजी के संघस्थ सभी आर्यिका, क्षुल्लक एवं ब्रह्मचारिणी बहनों के साथ, ब्र. अध्यात्म जैन लखनऊ, प्रतिष्ठाचार्य विजय जैन, डॉ. जीवन प्रकाश जैन जंबूद्वीप, संघपती श्रीमती अनामिका जैन, प्रीतविहार दिल्ली, श्री सुरेश जैन कुलाधिपति मुरादाबाद, श्री प्रमोद जैन मॉडल टाउन दिल्ली, श्री अतुल जैन-जैन सभा नईदिल्ली, श्रीमती मालती जैन बसंतकुंज दिल्ली, श्रीमती सुनंदा जैन, राजाबाज़ार दिल्ली व श्री संजय कुमार जैन, दिल्ली को प्राप्त हुआ।

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