पुण्य कार्य वटवृक्ष बनकर जीवन को बनाते हैं महान :मुनि श्री
पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर बम्होरी में शुक्रवार को प्रातः 6.15 बने श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न हुई । इसके बाद 7.00 बजे से अशोक भैया के निर्देशन में पूजन प्रारंभ किया गया । मुनिश्री विमल सागर , मुनिश्री अंनत सागर , धर्म सागर , अचल सागर , भाव सागर महाराज के सानिध्य में 8.00 बजे सभी जिन प्रतिमाओं को अस्थाई बेदी से नवीन वेदी पर विराजमान करने का क्रम शुरू हुआ । समाज के सभी लोगों एवं बाहर से आए लोगों द्वारा श्रीजी को नवीन वेदी पर विराजमान किया गया । बम्हौरी के पारसनाथ जैन मंदिर में दो नवीन वेदी बनवाई गई । एक वेदी के पुण्यार्जक मदनलाल जैन गुड़गांव एवं दूसरी वेदी के पुण्यार्जन का सौभाग्य कैलाश जैन , पुष्पेंद्र जैन भोपाल वाले को प्राप्त हुआ । मुनिश्री विमल सागर महाराज ने कहा कि बम्हौरी के मूलनायक पारसनाथ भगवान 500 वर्ष प्राचीन है , जो भी प्रतिमाएं अधिक प्राचीन होती हैं निश्चित ही उन प्रतिमाओं में अतिशय होने लगते हैं । मुनिश्री ने कहा कि आप सभी लोग गांव में निवास करते हो । कुछ लोग गांव से बाहर शहरों में रहने लगे हैं , जो लोग गांव से बाहर शहरों में रहते हैं , वह साल में एक बार जरूर अपने मंदिर में आकर पूजन विधान करें । यह पूजन विधान जीवन की दिशा एवं दशा को बदल देगा , जो व्यक्ति अपने जीवन काल में श्रीजी को अपने कर कमलों द्वारा कमलासन पर विराजमान करता है , निश्चित ही वह भविष्य में मोक्षगामी बन जाता है । मुनिश्री ने कहा कि हमारा चित्त चलायमान है , हमारा वित्त भी चलायमान है , यहां तक कि हमारा जीवन भी चलायमान है । मुनिश्री ने कहा कि हम जो भी धार्मिक कार्य अपने जीवन में करके जाते हैं , वह हमारे साथ रहता है । आप लोगों ने आज जो पुण्य का कार्य किया है , यह पुण्य कार्य वटवृक्ष बनकर आपके जीवन को महान बनाएगा । मुनिश्री ने कहा जो व्यक्ति भगवान को छत्र चढ़ाते हैं , उनके ऊपर भगवान की छत्रछाया हमेशा बनी रहती है । मुनिश्री ने कहा कि में भी आप लोगों से गुरु दक्षिणा में कुछ मांग रहा हूं . कि आप लोग प्रतिदिन भगवान का अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन करें । शुक्रवार को दोपहर 2.30 पर पंच ऋषिराजों का बम्होरी से लिधौरा के लिए विहार हो गया ।