पवई 19 जनवरी झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले के मधुवन में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी पहाड़ी पौराणिक काल से ही जैन धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र रहा है।
जैन धर्म के कुल २४ तीर्थंकरों में से २० तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली होने के कारण संपूर्ण जैन समाज के लिए श्री सम्मेद शिखर जी पहाड़ का कण-कण एक मंदिर परिसर के समान पूज्यनीय एवं वंदनीय है । साल के बारहो महीने विश्व भर से लाखों जैन तीर्थयात्रि बेहद श्रद्धाभाव के साथ व्रत। धारण कर नंगे पैर और शुद्ध सूती वस्त्रों में शरीर को गला देने वाली ठंड या झुलसा देने वाली गर्मी में झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी की २७ किलोमीटर की इस बेहद चढाई वाले पहाड़ पर वंदना करने जाते हैं। सभी जैन तीर्थयात्री पारसनाथ पहाड़ की पवित्रता अक्षुण्ण बनाए रखने को अपना सर्वोच्च कर्तव्य समझते हैं।
स्थानीय आदिवासियों वा नागरिकों ने भी इस पहाड़ी की पवित्रता को बनाये रखना सदैव अपना कर्तव्य समझा है और कभी कोई ऐसी घटना नहीं हुई है कि स्थानीय आदिवासियों वा नागरिकों व जैन समाज के बीच कोई विवाद हुआ हो। पिछले कुछ महीनों से श्रद्धा के इस अक्षुण्ण तीर्थ स्थल की पवित्रता एवं सूचित सैर सपाटे एवं पिकनिक के नाम पर नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। जहां पर मनोरंजन के लिए आने वाले यात्री इस पवित्र पहाड़ पर मांसाहार एवं शराब का सेवन करते पाये गये हैं। जो जैन समाज की पीड़ा दायक है। जैन धर्म के इस शाश्वत तीर्थक्षेत्र की एक निश्चित परिधि मधुवन सहित सम्पूर्ण पारसनाथ पहाड़ी पर मांसाहार व शराब का विक्रय के साथ साथ सेवन क कड़े प्रतिबंध जारी किया जाना चाहिए। ज्ञापन के माध्यम से समाज ने तीर्थ स्थल की पवित्रता को बनाये रखने के लिए केंद्र सरकार अपना संरक्षण प्रादान करें।