विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल तत्वार्थ सूत्र का स्वाध्याय
मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज के सानिध्य में।




आचार्य उमा स्वामी द्वारा विरचित श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ राज जैन धर्म का सबसे बड़ा और महान ग्रंथ है। श्री तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ राज में 10 अध्याय एवं 357 सूत्र है। इस महान ग्रंथ राज का अध्ययन पिछले 2 महीने से मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज की दिव्य वाणी में ऑनलाइन जिनवाणी चैनल के माध्यम से पूरे विश्व में कराया जा रहा है।
मुनि श्री का उद्देश्य है कि श्री तत्वार्थ सूत्र जी का अध्ययन पूरे विश्व के घर घर में हो, यह अनूठा स्वाध्याय केवल बड़ों के लिए ही नहीं बच्चों के लिए भी है क्योंकि अर्हं टीम की कड़ी मेहनत से श्री तत्वार्थ सूत्र जी को एक नया रूप दिया गया जिसमें ग्राफिक्स और एनिमेशन के माध्यम से इसको आकर्षक बनाया गया ताकि छोटे से छोटा बच्चा भी इसको सरल तरीके से समझ सकें।
आज तत्वार्थ सूत्र से केवल भारत के ही नहीं बल्कि
America,
Canada,
Switzerland,
Dubai,
Singapore,
Chhattisgarh,
Assam,
Bihar,
Jammu & Kashmir,
Mizoram,
Chennai,
ऐसे अनेक देशों से लोग जुड़े हुए हैं और इन सभी लोगों ने तत्वार्थ सूत्र की परीक्षा भी दी है।
आज की युवा पीढ़ी के मन में अनेक प्रश्न उठते हैं
धर्म क्या है?
आत्मा क्या है ?
धर्म क्यों करना चाहिए?
धर्म से क्या होता है?
उनके इन सभी प्रश्नों का उत्तर गुरुदेव में बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से अपने प्रवचनों में दिया है।
प्राय: संसार के सभी प्राणी यह तो जानते हैं कि मोक्ष होता है, मोक्ष क्या है?
लेकिन उस मोक्ष मार्ग पर कैसे बढ़ना है, मोक्ष का मार्ग क्या है तो यह लोगों को ज्ञात नहीं है। अगर आप भी अपने प्रश्नों का उत्तर, अपनी जिज्ञासाओं का समाधान चाहते हैं तो श्री तत्वार्थ ग्रंथ राज से जुड़िए और अपने साथ सभी को जोड़िए क्योंकि यही एक ऐसा मौका है जिससे आप अपने ज्ञान, ध्यान को,अपनी आत्मा में छुपे अनंत ज्ञान को आत्मसात कर पाएंगे, अपना जीवन सार्थक कर पाएंगे।
Deepti jain Delhi
Team Arham