आचार्यश्री का उदबोधन गोपालजी सुब्रह्मण्यम स्वामी
[सॉलिसिटर जर्नल सुप्रीम कोर्ट ] को
आपकी हिंदी और संस्कृतभाषा पर अधिकार आपकी विद्वता को दर्शाता है जिस प्रकार आपने कुण्डलपुर फैसला हिंदी में सुनाया वैसे ही यदि सर्वोच्च न्यायलय जन सामान्य को हिंदी में जानकारी सुलभ कराये तो आम जनता का हित होगा। आप की देव शास्त्र गुरु पर विनय अनुकरणीय है।
आप का नाम गोपाल सार्थक हो जाय यदि आपके माध्यम [सर्वोच्च न्यायालय ]से गो हत्या मांस निर्यात पर प्रतिबन्ध सम्बन्धी कोई पहल जनहित /राष्ट्र हित में हो जिस प्रकार गोपाल वृन्दावन मे गायो के बीच विचरण करते थे वैसे ही पूरा राष्ट्र वृन्दावन बन जावे। आपका नाम के अंत में लगा स्वामी भी सार्थक हो गया क्योंकि आप की देव शास्त्र गुरु पर श्रद्दा आपको परम पद स्वामी को प्राप्त कराएंगी।
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इसके पूर्व स्वयं गोपालजी सुब्रह्मण्यम स्वामीजी ने बताया की कैसे उन्हें स्वपन् में कुण्डलपुर बड़े बाबा और आचार्य श्री के दर्शन हुवे और आध्यात्मिक चेतना जाग्रत हुई और इसके बाद आगम का ज्ञान भी प्राप्त किया जो की केस की पैरवी मे सहायक हुवा तथा कुण्डलपुर फैसला अब आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होंगा तथा मंदिरो की निर्माण /विनिर्माण समाज के गुरुओ के माध्यम से ही होगा यह भी निश्चित हो गया ,अब कोई सरकारी विभाग इसमें हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगा.i