जैसे-जैसे क्षमा का प्रकाश हमारे भीतर प्रकट होता जायेगा, वैसे-वैसे ही क्रोध रुपी अंधकार स्वयं हमारे भीतर से लुप्त होता जायेगा-आचार्य अतिवीर मुनिराज
रेवाड़ी । परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने दसलक्षण महापर्व के अवसर पर अतिशय क्षेत्र नसिया जी में आयोजित श्री तीस चौबीसी महामण्डल विधान में धर्म के प्रथम लक्षण “उत्तम क्षमा” की व्याख्या करते हुए कहा कि क्षमा आत्मा का स्वभाव है| इसके विभाव रूप परिणमन से ही जीव क्रोधी हो जाता है […]
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