ऊन पावागिरी सिद्ध क्षेत्र,खरगोन (मध्य प्रदेश)
क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 09
क्षेत्र पर पहाड़ : पहाड़ी / टेकरी है । वाहन जाते हैं । लगभग 1/2 कि.मी. की दूरी पर।ऐतिहासिकता : ऊन स्वर्णभद्र मुनि की मोक्षस्थली है। जनश्रुति है कि राजा बल्लाल ने बाल्यकाल में नागिन निगल ली थी जो समय के साथ कष्ट देने लगी। अत: कष्ट निवारण हेतु प्राण विसर्जित करने काशी गंगा चल दिये। रास्ते में रात में रानी ने नाग-नागिन की बातें सुनकर राजा को जानकारी दी। उससे कष्ट निवारण हो गया व दौलत भी प्राप्त हुई। राजा ने 100 तालाब, मंदिर एवं बावड़ी बनाने का संकल्प लिया, लेकिन दुर्भाग्यवश तीनों चीजें 99-99 ही बनवा सका, अत: क्षेत्र का नाम (ऊन) (न्यून/कमी वाला) पड़ गया। नगर में 11 वीं व 12 वीं शताब्दी के मन्दिर व मूर्तियाँ हैं। यह अतिशय क्षेत्र भी है। 12वीं सदी की मनोज्ञ श्री शांतिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ की क्रमशः14,9,9फीट की विशाल प्रतिमाएँ विराजमान हैं। खुदाई से प्राप्त अतिशयकारी 12वीं सदी की भगवान महावीर की श्यामवर्ण प्रतिमा स्वर्ण कार्य युक्तमुख्य मंदिर में विराजमान है।
वार्षिक मेला : रंगपंचमी पर प्रतिवर्ष।
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र बावनगजा-80 कि.मी., सिद्धवरकूट-110 कि.मी.,
गोम्मटगिरि-इन्दौर-160 कि.मी.






