सिद्धो की पावन भूमि सिद्धवरकूट

JAIN SANT NEWS सिद्धवरकूट

सिद्धो की पावन भूमि सिद्धवरकूट

हम पावन तीर्थ सिद्धवरकूट के विषय मे बता रहे सचमुच पावन भूमि तो है ही लेकिन वहा के दर्शन कर मन अलग ऊर्जा का संचार करता है। यहाँ की अलोकिक छटा सभी का ध्यान अपनी और लेती है। यह क्षेत्र मध्यप्रदेश  मालवांचल मे (रेवा) नर्मदा कावेरी नदी के सुरम्य संगम पर विशाल पर्वतमाला के बीच यह पावन तीर्थ है।शास्त्रो मे पावन तीर्थ के विषय मे यह उल्लेख मिलता है की दो चक्रीय और दस कामकुमारो साढे तीन करोड़ मुनिराजो ने तपस्या कर मोक्ष पद को प्राप्त किया।

यह प्राचीनता के साथ पौरोणिक तीर्थ है जो विल्पुत सा हो गया था। इस क्षेत्र को आगे बलवती करने मे इंदौर पट्ट के भट्टारक श्री महेंद्रकीर्ति महाराज को जाता है।मिली जानकारी अनुसार सेकड़ो वर्ष पूर्व जंगलो मे भ्रमणं हेतु जा रहे थे। तब संवत 11 की भगवान् आदिनाथ की श्यामवर्णीय प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुयी जो 2000 वर्ष प्राचीन है। इतना ही नहीं इसी के साथ संवत1545 की चन्द्रप्रभु भगवान् की प्रतिमा भी प्राप्त हुयी यह भी उल्लेख मिलता है की मूलनायक संभवनाथ भगवान् मंदिर राजा विक्रमादित्य के समय का बताया जाता है।

क्षेत्र के मंदिर यदि हम इस क्षेत्र के मंदिरों के विषय मे जाने तो भगवान् श्री संभवनाथ मंदिर नेमिनाथ मंदिर श्री शांतिनाथ मंदिर दो चक्रीय और दस कामकुमार के चरण चिनह की छत्री भगववान बाहुबली मंदिर  मानस्तभ श्री आदिनाथ मंदिर श्री महावीर स्वामी मंदिर श्रीअजितनाथ मंदिर आदिनाथ मंदिर दितीय है।

क्षेत्र का समुचित विकास हुआ

पिछले कुछ वर्षो पूर्व यहाँ आने जाने तक का साधन भी उपलब्ध नहीं था इतना विकट समय था की निर्माण साम्रगी भी नावो से लायी जाती थी। ऐसे विषय समय मे पूर्व मे रहे पदाधिकारियो ने बहुत कुशलश्रम कर इसे विकसित किया है वर्षो तक अध्यक्ष रहे प्रदीप कासलीवाल व महामंत्री विजय काला की सक्रियता से क्षेत्र के विकास का कायाकल्प कर एक नयी जान फुकी। यह क्षेत्र अत्यंत रमणीयता लिये हुए है बडवाह से क्षेत्र तक पहुचने के लिये 18 km पक्का रोड है वह घने जंगलो के मध्य हरियाली से परिपूर्ण है  जब वर्षा होती है मार्ग मे छोटे छोटे झरने द्रष्टिगत होते है इंदौर से बडवाह पहुचने के मध्य दो घाट आते है सचमुच वर्षाकाल मे चारो तरफ फैली हरियाली खाई हिल स्टेशन जेसा आभास कराती है।   इंदौर से सिद्धवरकूट के बडवाह से दो किलोमीटर पूर्व ही बाई और मुड़ता है यहाँ से यह क्षेत्र 18 किलोमीटर है।

क्षेत्र के आसपास की विशेष बात

इस पावन तीर्थ का महत्व धार्मिक दर्ष्टि से तो है ही यहाँ पर्यटन के भी बहुत सुरम्य स्थान है नर्मदा नदी केसमीप नोका विहार भी किया जा सकता है प्रसिद्ध ज्योतिर्निंग श्री ओकारेश्वर जी भी यही है बिना खभे वाला झुला पूल भी यही पर बना है ओकारेश्वर बाँध परियोजना तीर्थ क्षेत्र से लगा हुआ सा ही है इसके अतरिक्त यहाँ के निकट अनेक जैन तीर्थ है णमोकार धाम श्री सिद्धाचल श्री पोदनपुर तीर्थ भी यही है।

मेरा अनुभव

हम पूज्य गुरुदेव तपोभूमि प्रज्ञासागर महाराज का आशीष लेकर इस यात्रा की और बढने लगे मार्ग मे भारी वर्षा थी लेकिन मार्ग मे भारी जाम लग गया और यात्रा न हो पाना संशय दे रहा था लेकिन पूज्य गुरुदेव का अनंत आशीष संभवनाथ की अंनंत कृपा हमारे संघ के राजेंद्र महावीर हसमुख गांधी की दूरदर्शिता साहस सम्बल से इस पावन तीर्थ का दर्शन हुआ सुरम्य छटा  अलोकिक तीर्थ का दर्शन कर साड़ी थकान दूर सी हो गयी मानो लगा कोई अंनत जन्म का पुण्य उदित हुआ समिति द्वारा जो हमारा अभिनन्दन किया व सचमुच कभी भुलाया नहीं जा सकता

अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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