अभिमान का त्याग करना ही उत्तम मार्दव धर्म है – विधानाचार्य संदीप जैन संगम अभिमान का त्याग करना ही उत्तम मार्दव धर्म है विधानाचार्य संदीप जैन संगम

JAIN SANT NEWS काठमांडू

अभिमान का त्याग करना ही उत्तम मार्दव धर्म है – विधानाचार्य संदीप जैन संगम अभिमान का त्याग करना ही उत्तम मार्दव धर्म है – विधानाचार्य संदीप जैन संगम*

काठमांडू

श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर जी काठमांडू नेपाल में चल रहे दश लक्षण महापर्व में विधानाचार्य संदीप जैन संगम साहित्याचार्य जी अंबाला द्वारा शायं शास्त्र सभा में* *उत्तम मार्दव धर्म पर प्रवचनों में कहा*
*मार्दव धर्म संसार का नाश करने वाला है, मान का मर्दन करने वाला है, दया धर्म का मूल है, विमल है, सर्वजीवों का हितकारक है और गुण गणों में सारभूत है। इस मार्दव धर्म से ही सकल व्रत और संयम सफल होते हैं। मार्दव धर्म मान कषाय को दूर करता है, मार्दव धर्म पाँच इन्द्रिय और मन का निग्रह करता है*
*मार्दव धर्म जिनेन्द्र देव की भक्ति को प्रकाशित करता है, मार्दव धर्म कुमति के प्रसार को रोक देता है, मार्दव धर्म से मनुष्यों का बैर दूर हो जाता है।*
*मार्दव धर्म से परिणाम निर्मल होते हैं, मार्दव धर्म से उभय लोक की सिद्धि होती है, मार्दव से दोनों प्रकार का तप सुशोभित होता है और मार्दव से मनुष्य तीनों जगत् को मोहित कर लेता है।

अपने और पर के स्वरूप की भावना भायी जाती है। मार्दव धर्म सभी दोषों का निवारण करता है और यह मार्दव धर्म ही जीवों को जन्म समुद्र से पार कराने वाला है*

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *