सनावद। भादो मास शुक्ल पक्ष चौदस (अनंत चतुर्दशी) एवमं पर्युषण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य वर्त के दिन अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया गया। संध्या दीदी ने बताया कि ब्रह्म अर्थात निजशुद्धात्मा में चरण रमना ही ब्रह्मचर्य है। परद्रव्यों से रहित शुद्ध-बुद्ध आत्मा में जो चर्या अर्थात लीनता होती है, उसे ही ब्रह्मचर्य कहते है। व्रतों में श्रेष्ठ इस ब्रह्मचर्य व्रत का जो पालन करते है, वो अतीन्द्रिय आनंद को प्राप्त करते है। यद्यपि निजात्मा में लीनता ही ब्रह्मचर्य है, तथापि जब तक हम अपनी आत्मा को जानेंगे नहीं, मानेंगे नहीं, तब तक उसमें लीनता कैसे संभव है? अपने तन-मन को शुद्ध रखना ही ब्रह्मचर्य है। विशेष बात यह है कि केवल स्पर्श इन्द्रिय ही नही, अपितु पांचों इंद्रियों के विषय में निरोध का नाम ही ब्रह्मचर्य है। सन्मति जैन काका ने बताया कि आज के इस पावन अवसर पर सुबह से आदिनाथ जिनालय, सुपार्श्वनाथ जिनालय एवमं पार्श्वनाथ बड़ा जैन मंदिर, महावीर जिनालय, श्रीमन्दिर जिनालय सहित सभी में श्रीजी के अभिषेक पश्चात नित्यनियम पूजन एवं भगवान वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर लाड़ू चढ़ाया गया एवं विशेष पूजन किया गया। दोपहर में सभी जिनालयों में बड़ा अभिषेक किया गया, जिसमें शान्ति धारा करने का सौभाग्य मुकेश जैन, शुभम पेप्सी को प्राप्त हुआ। रात्रि में संगीतमय आरती-भक्ति की गई। पर्युषण के दौरान ज्योति बाला धनोते एवमं प्रियंका नितिन जैन, अनिता जैन, कुमारी सुहासी जैन के द्वारा 10-10 दिवसीय उपवास की साधना की गई। इसी कड़ी में शनिवार को सभी जैन मंदिरों में सुबह से मंदिरों के शिखरों पर ध्वजारोहण किया जायेगा।