परमपूज्य श्वेतपिच्छाचार्य सिद्धान्त चक्रवर्ती आचार्य श्री विद्यानदी जी मुनीराज का समाधि दिवस पर रामगंजमडी नगर से जुड़ी स्मृति
भाव भीनी विनयांजलि
धरती पर अवतार लिये
आचार्य श्री विद्यानंद कहे
आप साधना के प्रहरी थे आपकी साधना देख सभी अभिभूत थे तभी तो नेता अभिनेता सभी आपके आगे नतमस्तक थे सन 1991 में आपका रामगंजमंडी राजस्थान मे आपका अल्प प्रवास रहा आज भी नगर की स्म्रति पर अंकित है और मेरे अंदर भी अंकित है आपका नगर आगमन हुआ ऐसी अद्वितीय अगवानी हुई जो सचमुच भाव विभोर कर देती है आपका तीन दिन प्रवास रहा रामगंजमंडी नगर का शाहजी चौराहा इसका साक्षी है जहां आपके मांगलिक प्रवचन हुए उनकी वाणी विश्व धर्म की और अग्रसर रही आपको बच्चो से बहुत स्नेह रहा मैं दर्शन हेतु मित्रो के साथ गया आपने मधुर मुस्कान दी और कहा णमोकार मन्त्र सुनाओ हमने णमोकार सुनाया उन्होंने मयूर पिच्छीका हमारे मस्तक पर लगाकर आशीष दी हम गदगद भावो से भर गये ऐसे असाधारण संत का सानिध्य नगर को मिलना कोई अतिशय से कम नही है हमारे परिवार के पुण्य में एक और पुण्य झोली मे आ गया जब आपकी आहारचर्या और चरण वंदना का लाभ हमारे परिवार को प्राप्त हुआ अपार समूह हमारे आवास आहारचर्या के उस अद्वितीय पलो को निहार रहा था आप आहारचर्या के उपरांत आपने सभी को आशीष दिया आपके समीप मेरी बड़ी बहन नीलू और रुचि द्वारा भजन प्रस्तुत किया
जो भक्तिमय था उन पलों के देख परिवार जन हर्षित था पुनः मैं आशीष लेने आपके पादारविन्द मे आया आपने मुस्कान के साथ कहा णमोकार सुनाये णमोकार सुनाया आज भी वह पल मेरी स्म्रति पर आज भी अंकित है ऐसे अद्वितीय सन्त की साधना प्रभावना को कभी भुलाया नही जा सकता अंत समय में आप समता के सदा समाधिस्थ हुए यह भी आपकी साधना का प्रतिफल है
भाव भीना नमन
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी