मधुर कंठ की धनी दीक्षार्थी नेहा दीदी की रामगंजमंडी से जुडी स्मृति
संयम के पथ पर नेहा दीदी बढ़ रही है वे विजयादशमी को वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज से आर्यिका दीक्षा लेगी नेहा दीदी मधुर कंठ की भी धनी है वर्ष 2013 मे आर्यिका 105 सष्टिभूषण माताजी का अल्प प्रवास रामगंजमंडी रहा उनके साथ मुझे भी समाजबंधुओ के साथ मंगल विहार मे सहभागिता का अवसर मिल गया। कैथुली अतिशय क्षेत्र की और विहार करते हुए माताजी का प्रवास ग्राम संनखेदा मे हुआ तब दीदी ने मधुर कंठ से एक गीत सुनाया सत्य और मार्मिकता को दर्शाता है उन्होने जब गीत सुनाया सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया वातावरण ओतप्रोत सा हो गया वे बोल थे
पुरानी हो गयी भक्ति पुराना आशियाना है
चलो चिड़िया हुआ पूरा यहाँ का बुदबुदाना है
पुरानी हो गयी भक्ति पुराना आशियाना है
चलो चिड़िया हुआ पूरा यहाँ का बुदबुदाना है
छोड़कर जाएगा जिस दिन तू अपनी धर्मशाला को
तुझे उस दिन कमरे का किराया भी चुकाना है
पुरानी हो गयी भक्ति पुराना आशियाना हैै
जन्म और म्रत्यु के क्रम मे जरा सा भेद होता है
किसी के पास जाना है, किसी के दूर जाना है।
पुरानी हो गयी भक्ति पुराना आशियाना है
गये जब राम से शूरवीर ईसा और मोहम्मद भी
अगर हम भी चले जाए तो आंसू क्या बहाना है
पुरानी हो गयी भक्ति पुराना आशियाना है
अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी