भक्तामर अनुष्ठान का साक्षात चमत्कार* –
आगरा
श्रद्धा समर्पण हो तो अनहोनी भी टल जाया करती है ऐसा ही देखने को मिला आगरा की पावन धरा पर जो सभी को एक सीख देता है केसी भक्ति पूजन अनुष्ठान हो उसे संकल्प करके बैठे उसे पूर्ण करने के बाद ही अपने विकल्पों पर देखे ऐसा ही वाकया था जब भक्तामर अनुष्ठान में पुण्यार्जक रूप मे बैठे श्री नरेन्द्र जैन वल्केश्वर को अचानक समाचार मिला की उनकी दुकान जिस मार्केट मे है उसमे आग लग गयी है, उस समय भक्तामर के जाप पूरे हो चुके थे,
और हवन क्रीया प्रारम्भ हो रही थी, उन्होने अपनी पत्नी को हवन जारी रखने को कहा और स्वयं दुकान की चाबी ले मार्केट की और भागे, लेकिन होता क्या वो अग्नी कांड पास तक नही पहुचा औऱ दुकान को छू भी नही पाया! और उनकी धर्मपत्नी भी बिना घबराये पूरे विश्वास से आहूतीयां देती रहीं, सर्व रक्षा हुई! हम हमारी श्रद्धा समर्पण आस्था नियम संकल्प को थोड़ा सा विचलित होने पर तोड़ देते है और घबरा जाते है।
पूज्य आर्यिका 105 अर्हंश्री माताजी की अनन्त प्रेरणा सानिध्य में यह अनुष्ठान हो रहा है ऋषभदेव भगवान की स्तुति को मानुतुंग स्वामी ने महाकाव्य को लिखा है जो अनन्त चमत्कारो से भरा है इस महामंडल अनुष्ठान को यदि भक्ति भाव से किया जावे तो मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी