अतिशय ,जन्म ,समाधि,दीक्षा स्थली शान्तिवीर नगर महावीर जी मे हुईं चार आर्यिका दीक्षाएं।





साधना दीदी बनीआर्यिका श्री निर्मोह मति जी। नेहादीदी बनीआर्यिका श्री विश्व यश मति जी ।दीप्ती दीदी बनीपद्म यशमति जी पुनम दीदी बनीआर्यिका श्री दिव्य यश मति जी।
महावीर जी
प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांतिसागरजी की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी वर्ष 2022 में अपना 54 वा वर्षायोग श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र में कर रहे है इस बेला में दिनांक 5 अक्टूबर 2022 को 7 प्रतिमा धारी साधना दीदी वर्ष 60 का आर्यिका दीक्षा के बाद नूतन नाम आर्यिका श्री निर्मोह मति जी बाल ब्रह्मचारिणी नेहा दीदी 36वर्ष का नूतन नाम 105आर्यिकाश्री विश्व यश मति जी माताजी नामकरण किया गया।







26 वर्षीय सनावद निवासी26 वर्षीय दीप्ति दीदी का नाम आर्यिका श्री पद्म यश मति जी तथा 26 वर्षीय बाल ब्रह्मचारिणी पुनम दीदी का नाम आर्यिका श्री दिव्य यश मति जी किया गया।
इसके पूर्व दीक्षार्थियों की शोभा यात्रा श्री वर्द्धमान सागर सभागार महावीर जी से श्री शान्ति वीर नगर के सभा गार में पहुँची । यहाँ पर आचार्य श्री वर्द्धमान सागर चातुर्मास कमेटी , श्री शान्ति वीर नगर प्रबंध कमेटी तथा प्रबंध कारिणी श्री महावीर जी महामस्तकाभिषेक समिति के संयुक्त तत्वाधान में दीक्षा समारोह कार्यक्रम सभागार में आयोजित किया।


कार्यक्रम का मंगलाचरण हर्षित जैन सिकंदराबाद किया आचार्य श्री शांति सागर जी के चित्र अनावरण श्री बिमल जी महेंद्र पाटनी उरसेवा किशनगढ़ द्वारा किया गया।दीप प्रज्वलन श्री संजय जी पुनीत जी पापड़ीवाल किशनगढ़ ने किया राज कुमार जी कोठारी श्री राजकुमार जी सेठी जयपुर अध्यक्ष आचार्य श्री वर्द्धमान सागर वर्षायोग समिति राजेश पंचोलिया ने बताया कि
सौभाग्यशालीपरिवार की 5 महिलाओं द्वारा चोक पूरण की क्रिया की गई। दीक्षार्थीयो ने आचार्य श्री ने दीक्षा की याचना की तथा आचार्य श्री एवम समस्त साधुओ दीदी भैया श्रावक श्राविकाओं तथा समाज से क्षमा याचना की।वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के के प्रवचन हुए।इस बेला में आचार्य श्री के द्वारा दीक्षार्थी के पंच मुष्ठी केशलोच किये गए तथा दीक्षा संस्कार मस्तक तथा हाथों पर किये गए। इसके बाद पुण्यार्जक गृहस्थ अवस्था परिवारो द्वारा नूतन आर्यिका श्री जी को पिच्छी कमंडल शास्त्र वस्त्र भेंट किये ।
आर्यिकाश्री निर्मोह मति माताजी को पीछी भेंट करने का सौभाग्य पूर्व परिवार समर पुरवा स्पर्श प्रमथेष सावन निर्मला जी को प्राप्त हुआ ।कमंडल अजय राजेश पंचोलीया संगीता आरती सनत कुमार जी मीना प्रधान कांतिलाल खंडवा को प्राप्त हुआ। वही शास्त्र सुरसुंदरी महेश्वर वंदना जैन बड़वाह शांतिलाल जैन जुगमंदर जी पदम राज पाटिल चिक्कोडी को प्राप्त हुआ। वस्त्र गजू भैया संजय पापड़ी वाल महेंद्र पाटनी विनोद कुमार कुवैत आदि द्वारा भेंट किए गए धर्म के माता-पिता बनने का सौभाग्य समर कंठाली एवं पूर्वा को प्राप्त हुआ।
आर्यिका श्री विश्वयश मति माताजी को पिछी राकेश जैन सरिता जैन राहुल रूपाली जैन निधि नितिन जैन द्वारा दी गई कमंडल नरेश जैन सरिता जैन अजमेर द्वारा शास्त्र अनुज जैन पायल जैन सतीश जैन गुड़गांव द्वारा दिए गए वस्त्र सुरेंद्र जैन सविता जैन द्वारा दिए गए धर्म के माता-पिता बनने का सौभाग्य पूर्व जन्म के माता सरिता एवं राकेश जैन दिल्ली को प्राप्त हुआ।
आर्यिका श्री पद्मयश मति माताजी के माता-पिता बनने का सौभाग्य अविनाश भारती जैन सनावद को पीछी भेंट करने का सौभाग्य मनोरमा शोभा स्वस्ति कुमारी हर्षिता को प्राप्त हुआ कमंडल श्रीमती रानी शैलेंद्र जैन द्वारा शास्त्र विमल जैन डिसेंड वाला जैन द्वारा भेंट किए गए वस्त्र पारस जैन अमित जैन संजय जैन द्वारा दिए गए।
आर्यिका श्री दिव्ययश मति माताजी को पीछी कनकलता जैन कोटा तथा संगीता पंचोलिया इंदौर द्वारा भेंट किए गए कमंडल पदम कुमार विनय कुमार विजय कुमार अजमेर अजमेरा टोडारायसिंह द्वारा शास्त्र श्री दिलीप कुमार सुशीला जी कासलीवाल जयपुर श्रीमती रत्ना देवी सोमानी तथा कन्हैया लाल पदमा जी द्वारा भेंट किए गए वस्त्र श्रीमती मेघा महावीर जी बीलाला श्रीमती नेहा प्रियंक सिंघई श्रीमती वर्षा रजनीश छाबड़ा एवं धर्म चंद जी जैन गुरु जी सीकर द्वारा भेंट किए गए ।धर्म के माता-पिता बनने का सौभाग्य श्री हेम चंद जी मीना बनेठा मामा मामी को प्राप्त हुआ। आज प्रातः 5 बजे चारो दीक्षार्थियों साधना नेहा दीप्ती तथा पुनम दीदी के केशलोच हो रहे थे, तब सभी वैराग्यमयी पलों से द्रवित हो रहे थे। परिजनों के दोनों नेत्रों में एक नेत्र में खुशी के आंसू दूसरे नेत्र में दुख था दीक्षार्थियों के मंगल स्नान के बाद चारो ने भगवान का पंचामृत अभिषेक किया
उल्लेखनीय है कि अभी तक आचार्य श्री ने 94 दीक्षाएं दी है।
अब 98 कुल दीक्षाएं हो गई।
गजु भैया ,राजकुमार सेठी ,राजेश पंचोलिया ने दीक्षार्थी बहनों के परिचय में बताया कि
जिस प्रकार श्री आदिनाथ भगवान ने उनके पुत्रों पुत्रियों पोतों ने दीक्षा ली। उसी प्रकार एक संयोग पुनः बना कि पिता मुनि श्री चारित्र सागर जी ,भाई मुनि श्री श्रेष्ठ सागर जी तथा भतीजी आर्यिका श्री महायशमती जी के संयम वैराग्य पद चिन्हों पर 7 प्रतिमा धारी साधना दीदी ने चलने के लिए वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी को दीक्षा हेतु रत्नत्रय रूपी तीसरी बार श्रीफल चढ़ाया। आपने 2 प्रतिमा 15 जुलाई 2021 तथा 7 प्रतिमा के नियम 29 अगस्त 2022 को आचार्य श्री से महावीर जी मे हो रही दीक्षा समारोह में ग्रहण किये।
आप विगत 3 वर्षों से संघ में बुआजी के नाम से जानी जाती है। एक संयोग आपका जन्म आषाढ़ सुदी दूज को हुआ है जो आचार्य श्री का आचार्य पदारोहण दिवस है।
श्रीमती सरिता राकेश जी देहली की पुत्री बाल ब्रह्मचारणी नेहा दीदी स्नातक ग्रेज्युट है। C A चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रथम वर्ग की शिक्षा ली है। वर्ष 2011 में आजीवन ब्रहचर्य व्रत आचार्य श्री विद्या भूषण श्री सन्मति सागर जी से लिये।दो प्रतिमा के नियम पूज्य आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी से वर्ष 2016 में ग्रहण किये।आप विगत 15 वर्षों से आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी के संघस्थ होकर 5 वर्षो से निरंतर आचार्य श्री संघ संपर्क में है।
श्रीमती भारती अविनाश जैन सनावद mp की बाल ब्रह्मचारणी पुत्री दीप्ति दीदी का जन्म 12 सितम्बर 1996 को हुआ।लौकिक शिक्षा B A तक प्राप्त कर घर पर चैत्यालय तथा धार्मिक पुस्तकालय होने से स्वाध्याय की गहन रुचि रही ।
पारिवारिक दादा दादी माता8 पिता संस्कारो ने वेराग्यमयी वातावरण मिला आपने 22 अगस्त 2015 को निवाई राजस्थान में पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी से आजीवन ब्रहचर्य व्रत लेकर संघ में शामिल हुए।
श्रीमती कनकलता निर्मल जी बाकली वाल कोटा की 26 वर्षीय पुत्रीपूनम दीदी बचपन कालेज का नाम निशा किंतु जन्म वैशाख शुक्ला पूनम को हुआ। निशा की रात्रि सदैव के लिए पूनम की चांदनी में परिवर्तित हुई। ओर आपका जीवन स्वर्ण मयी निर्मल हुआ।
उल्लेखनीय है कि श्री महावीर जी आचार्य श्री शिव सागर जी की समाधि भूमि तृतीय पट्टाधीस आचार्य श्री धर्म सागर जी को आचार्य पद भूमि तथा आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की दीक्षा स्थली तथा आर्यिका श्री गुण मति माताजी की जन्म एवम दीक्षा भूमि है।
राजेश पंचोलिया
वात्सल्य वारिधि भक्त परिवार
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी