जिस तरह से कमल सूर्य को देखकर खिल उठता है कमल की भाती जिनालय में विराजमान भगवान को देखकर हमारा चेहरा प्रफुलित और मन उत्साहित होना चाहिए
चिन्तनमति माताजी
शाहगढ़
नगर के पंचायती जिनमंदिर में आर्यिका 105 चिंतनमति माताजी ससँघ सानिघ्य में सिद्धचक्र महामंडल विधान आहूत हुआ। इस अभूतपूर्व अनुष्ठान का समापन भव्य शोभायात्रा के साथ पूर्ण हुआ। यह शोभायात्रा भक्ति से ओतप्रोत रही व नृत्य करते हुए चल रहे थे। पालकी में विराजमान भगवान को भक्त कांधे पर लेकर चल रहे थे। नगर के में भव्य रंगोली सजी हुई थी। सभी ने श्रीजी की मंगल आरती की इस शोभायात्रा में बच्चो का जयघोष आकर्षण का केंद्र रहा।
वही गुरु माँ ने भाव भीनी वाणी के साथ कहा कि जिस तरह कमल सूर्य को देखकर खिल उठता है।उसी तरह कमल की भांति ही जिनालय में विराजमान भगवान को देखकर हमारा चेहरा प्रफुल्लित और मन उत्साहित होना चाहिए। उन्होनें यह भी कहा कि कभी भी अपने आराध्य भगवान से किसी भी तरह की लालसा नही रखनी चाहिए। हमारे अन्दर भगवान बनने का भाव आना चाहिए।
धनतेरस की इस शुभतिथि को लाभ का दिन बताकर व्यापारियों ने व्यापार शुरू कर दिया
माताजी ने धनतेरस का महत्व बताया उन्होंने कहा इस शुभतिथि को व्यापरियों ने लाभ की तिथि व दिन बताकर व्यापार शुरू कर दिया है।लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान आकृष्ट किया कि इस दिन भगवान महावीर समवसरण को छोड़कर ध्यान के लिए बैठ गए थे। इस कारण यह तिथि धन्य मानी गई है। इसके दो दिन के बाद कार्तिक कृष्ण अमावस्या की सुबह दीपवाली की बेला में मोक्ष प्राप्त हुआ था। लेकिन वर्तमान में व्यापारी इस तिथि को धनतेरस के रूप में मनाने लगें है।
उन्होंने कहा अनुष्ठान समाज को जोड़ने व धर्मप्रभावना हेतु होते हैं।घड़ी की भांति अनवरत चल रहे है इस जीवन से मुक्ति का भाव लेकर ही हम भगवान के समक्ष्य जाकर भक्ति आराधना करे।
संकलंन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी