सुपात्र को दान देने से भोग भूमि प्राप्त होती हैं आचार्य श्री वर्द्धमान सागर महाराज
महावीर जी
पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज अपने विशाल संघ सहित अतिशय क्षेत्र महावीर जी में विराजित है आचार्य श्री सानिध्य में पद्म पुराण की वाचना चल रही है । गजू भैया नरेश पाटनी राजेश पंचोलिया ने बताया कि स्वाध्याय में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया कि राजा श्रेणिक भगवान के उपदेश सुनने के लिए गया उन्होंने श्री गणधर स्वामी से अपनी जिज्ञासा व्यक्त की ।है स्वामी पद्य के बारे में जानकारी में प्राप्त करना चाहता हूं।
गणधर स्वामी उनकी जिज्ञासा का समाधान करते हुए पदम का चरित्र कहना शुरु करते हैं गणधर स्वामी तीन लोक की रचना का वर्णन में बताते हैं कि मध्य लोग में सुमेरु पर्वत है मध्यलोक में पर्वत नदी या तालाब अकृतिम चैत्यालय आदि की रचना है।
स्वाध्याय में विवेचना कर आचार्य श्री बताते हैं कि सुपात्र को दान देने से भोग भूमि की प्राप्ति होती है तथा कुपात्र को दान देने से कुफल की प्राप्ति होती है। सुपात्र को दान देने से अच्छा फल प्राप्त होता है ।जिस प्रकार दर्पण को हम देखते हैं तो हमें हमारा प्रतिबिंब वैसा ही दिखता है जैसे हम हैं। ग्रंथ में 14 कुल करो का वर्णन किया गया है आचार्य श्री ने बताया कि सूर्य और चंद्रमा 2 ज्योतिषी देव है सूर्य जहां उष्ण ताप गर्मी देता है वही चंद्रमा शीतल रोशनी देता है। सुपात्रो को दान देने से कुलकर भी बन सकते हैं।
राजेश पंचोलिया इंदौर वात्सलय भक्त परिवार
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमडी