श्री विमल तारिका पाटनी (आर.के. मार्बल) किशनगढ़ ने की नवीन पिच्छीका भेंट शाश्वत सुख सिद्धालय में प्राप्त होता है इसके लिए मुनि धर्म धारण करना जरूरी है। आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी
महावीर जी
आचार्य संघ का वर्षा योग श्री महावीरजी में संपन्न हुआ। अनेक शहरों गांव में चातुर्मास किए हैं। संयम जीवन के 53 वर्ष का वर्षा योग दीक्षा स्थली अतिशय क्षेत्र महावीर जी में संपन्न हुआ।साधुओं का समागम प्राप्त करना आसान नहीं है बहुत पुण्य से और पुरुषार्थ से संत समागम प्राप्त होता है ।




यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज ने पीछी परिवर्तन कार्यक्रम में व्यक्त की। आचार्य श्री ने आगे बताया कि श्री महावीरजी प्रबंध कार्यकारिणी कमेटी ने आचार्य संघ के वर्ष 2022 के चातुर्मास हेतु अनेक नगरों ने आकर निवेदन किया। फल स्वरूप आचार्य संघ का चातुर्मास यहां हुआ।जिसका निष्ठापन किया गया। गजू भैया राजकुमार सेठी , नरेश पाटनी , कैलाश पाटनी, राजेश सेठी, राजेश पंचोलिया ने बताया कि आचार्य श्री ने 24 वर्ष के आंकड़े के बारे में अनेक संयोग का जिक्र कर बताया कि हमारी मुनि दीक्षा 24 फरवरी को इसी महावीरजी में हुई है ।24 जून को हमें आचार्य पद मिला है। 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के नाम पर यह अतिशय क्षेत्र है ।24 वर्षों के बाद महा मस्तकाभिषेक हो रहा है 24 फीट की प्रतिमा एवं नूतन चौबीसी का पंचकल्याणक होगा।
24 नवंबर के बाद पंच कल्याणक महामस्तकाभिषेक प्रारंभ होगा। इस प्रकार 24 से जुड़ी हुईअनेक बाते आचार्य श्री ने बताई ।आचार्य श्री ने बताया कि 1008 श्री आदिनाथ भगवान से लेकर 1008 महावीर स्वामी तक में वर्तमान में श्री महावीर स्वामी का शासन चल रहा है ।जिसमें वर्तमान में हम श्री महावीर स्वामी के अनुशासन में चल रहे हैं उनकी दिव्य ध्वनि को प्रतिपादित कर जैन धर्म का हम पालन कर रहे हैं। महावीर स्वामी के काल में प्रथमाचार्य आचार्य श्री शांतिसागर जी ने दीक्षा ली तथा तब मुनि धर्म लगभग लुप्त हो रहा था उसे पुनर्जीवित किया आचार्य श्री शांतिसागर जी की प्रेरणा से अनेक शास्त्रों का संरक्षण और संवर्धन हुआ अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों को ताम्र तांबे के पत्रों पर अंकित किया गया जो आज भी सुरक्षित है ।




आचार्य श्री ने आगे बताया कि सिद्धांत ग्रंथ में जैन धर्म की जटिलता है वही आचार्य लिखित ग्रंथों में चार अनुयोग है जिसमें प्रथमानुयोग में अनेक तीर्थंकर महापुरुषों का जीवन चरित्र प्रतिपादित किया गया है।





केवल चरित्र ही नहीं पालन किए जाने वाले धर्म का भी उल्लेख है आचार्य श्री ने आगे बताया कि संसार का हर प्राणी सुख प्राप्त करना चाहता है, शाश्वत सुख केवल सिद्ध अवस्था में प्राप्त होता है जिसके लिए मुनि धर्म को धारण करना जरूरी है ।शास्त्रों में वर्णित मुनि धर्म के पालन में अहिंसा महाव्रत का पालन सबसे महत्वपूर्ण है।
दिगंबर जैन साधु का संयमोपकरण मयूर पिच्छिका दिगंबर मुनि के पास संयम उपकरण के रूप में पिच्छिका होती है। यह जिन मुद्रा एवं करुणा का प्रतीक है। पिच्छिका और कमण्डलु मुनि के स्वावलम्बन के दो हाथ हैं। इसके बिना अहिंसा महाव्रत, आदान निक्षेपण समिति तथा प्रतिष्ठापना समिति नहीं पल सकती। प्रतिलेखन शुद्धि के लिए पिच्छिका की नितान्त आवश्यकता है।
दिगंबर सम्प्रदाय में मुनि, ऐलक, क्षुल्लक क्षुल्लिका तथा आर्यिकाएँ पिच्छिका धारण करते हैं। आचार्य श्री
वर्द्धमान सागर जी ने मयूर पीछी की गुण बताते हुए बताया


मयूर पंख वाली पिच्छिका के पाँच गुण- 1. धूल ग्रहण न करना, 2. कोमलता, 3. लघुता, 4. पसीना ग्रहण नहीं करती, 5. सुकुमार (झुकने वाली) होती है। यहाँ तक देखा है कि इसके बालों को आँखों में डाल दें तो आँसू नहीं आते। कार्तिक मास में मयूर स्वेच्छा से अपने पंख छोड़ता है। इसलिए किसी भी प्रकार से मयूर को पीड़ा नहीं देनी पड़ती है ना हिंसा होती है।
श्री महावीर जी में वात्सल्य वारीधी आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी 9 मुनिराज। आर्यिका माताजी 2 क्षुल्लक तथा 2 क्षुल्लिका सहित 34 साधुओं तथा आर्यिका श्री सरस्वती मति माताजी एवम आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी संघ का भी पीछी परिवर्तन हुआ। उल्लेखनीय है कि तीनों संघ ने चातुर्मास कलश स्थापना एक साथ की थी।
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी संघ सहित 1008 श्री महावीर स्वामी मंदिर गए जहा पर विराजित चातुर्मास मंगल कलश के निष्ठापान की क्रिया की गई






नूतन पीछी तथा चातुर्मास कलश सहित आचार्य संघ सहित जलूस श्री वर्द्धमान सभागार पहुंचा।
इसके पूर्व प्रारंभ में श्री महावीर। जी प्रबंध कार्य कारिनी समिति ने भगवान श्री महावीर स्वामी के चित्र का अनावरण कर दीप प्रवज्जलन किया।मंगलाचरण कुमारी सृष्टि पंड्या महावीर जी ने प्रस्तुत किया। प्रथमाचार्य आचार्य श्री शांति सागर जी को अध्र्य श्री राजकुमार कोठारी ने ,आचार्य श्री वीर सागर महाराज को पंडित श्री हसमुख धरियावद आचार्य श्री शिव सागर जी एवम आचार्य श्री धर्मसागर जी को चातुर्मास समिति ने ,आचार्य श्री अजित सागर महाराज को महिला मंडल महावीर जी ने तथा आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर महाराज को श्रीमती संगीता राजेश पंचोलिया इंदौर ने समर्पित किए।



वात्सल्य वारीधी आचार्य श्री की पूजन jचातुर्मास कमेटी तथा महावीर जी शांतिवीर नगर की स्थानीय समाज ने अष्ट द्रव्यों से की।चातुर्मास कमेटी ने
श्री धर्मचंद गुरूजी सीकर, श्री परमीत कर्नाटक श्री चंद्रेश जैन ब्यूरो चीफ समाचार जगत, श्री के के शर्मा ,श्री निर्मल बज , श्री मुकेश पंडित जी, श्री महावीर पंडित जी जोबनेर, श्री बाबूलाल निवाई, श्रीपारस जैन इचलकरंजी का सम्मान चातुर्मास के दौरान सराहनीय सेवाओं के लिए किया गया।
पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारीधी आचार्य श्री वर्द्धमान सागर सानिध्य में आचार्य श्री एवम आर के मार्बल ग्रुप किशनगढ के श्री विमल जी पाटनी सपरिवार ,श्रीसंजय पापड़ी वाल किशनगढ ने नवीन पीछी भेट की।आचार्य श्री की पुरानी पीछी प्राप्त करने का सौभाग्य श्री पारस जैन इचल करंजी को प्राप्त हुआ है।
यह विगत कुछ वर्षों कर्नाटक महाराष्ट्र मध्यप्रदेश से राजस्थान बिहार में सतत पूर्ण मनोयोग निस्वार्थ भाव से संघ की सेवा कर रहे हैं।
मुनि श्रीहितेंद्र सागर की पीछी श्रीमती तारा देवी सेठी जयपुर तथा आर्यिका श्री सृष्टि भूषण माताजी की पीछी प्रिंस राजा खेड़ा तथा आर्यिका श्री महायश मति जी की पीछी संगीता राजेश पंचोलिया ने भेट की तथा पुरानी पीछी श्री विनोद श्री शिखर चंद जी पारसोला उदयपुर को प्राप्त हुई।
आचार्य श्री का चरण प्रक्षालन जल से श्रीमान विमल पाटनी आर के मार्बल किशनगढ़ तथा गिरिराज जैन,श्री सुनील अग्रवाल जयपुर ने पंचामृत द्रव्यों से आचार्य श्री का चरण प्रक्षालन किया ।
चातुर्मास कलश श्रेष्ठि श्री विमल पाटनी सपरिवार आर के मार्बल किशनगढ को भेट किया गया। सभा में किशनगढ़ में माह जनवरी 2023 में होने वाले पंच कल्याणक के पोस्टर का विमोचन आचार्य श्री एवम श्री विमल पाटनी ,श्री संजय पापड़ी वाल श्री कैलाश पाटनी श्री संजय पांड्या श्री विजय कासलीवाल श्री गौरव पाटनी एवम किशनगढ़ समाज के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
सभा को पंडित श्री हसमुख जी शास्त्री ने भी संबोधित किया चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष श्री राजकुमार सेठी ने चातुर्मास को सफल बनाने में कमेटी के सदस्यों आहार चौके के विभिन्न शहरों के श्रावको के प्रति आभार व्यक्त किया। आचार्य श्री को शास्त्र श्री गणपत किशोर ज काला गोहाटी ने भेट किया। इस अवसर पर इंदौर से समाजसेवी श्री भरत जैन,श्री योगेश जैन श्री अविनाश जैन सनावद सहित मध्यप्रदेश राजस्थान असम कलकत्ता बंगाल उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र कर्नाटक आदि अनेक राज्यों से हजारों भक्त विशेष रूप से पधारे।
राजेश पंचोलिया इंदौर
वात्सल्य वारीधी भक्त परिवार
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी