अतिशय ,जन्म , समाधि दीक्षा भूमि महावीर जी मे 2 आर्यिका दीक्षाओ से दीक्षाओ का शतक श्री महावीर जी में स्वयं द्वारा 10 वी दीक्षा श्री महावीर जी की 30 वी दीक्षाक्षुल्लिका श्री शील मति बनीआर्यिका श्री शील मति जी। कमला दीदी बनीआर्यिका श्री संकल्प मति जी ।मनुष्य को घर से आड़े नहीं खड़े निकलना चाहिए
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी
श्री महावीरजी
मनुष्य जन्म दुर्लभता से प्राप्त होता है ,उससे भी ज्यादा दुर्लभ जैन कुल में पैदा होना। भगवान की वाणी को श्रवण कर मनन चिंतन करना ,जन्म के जीवन में हमें तीर्थंकरों मुनियों की वाणी सुनने को मिलती है और उससे वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। आज दोनों दीक्षार्थी जो हैं इन्होंने गुरु की सेवा की ,आहार दान दिया , व्रत नियमों का पालन किया आज यह देशव्रती से महाव्रती बनी है।आचार्य श्री शिव सागर जी कहते थे इंसान मनुष्य को घर से आडे होकर नहीं, खड़े होकर निकलना चाहिए ,इसका मतलब यह है कि मृत्यु होने पर शव यात्रा लेटा आड़ा करके निकाली जाती है वही संयम की भावना होने पर व्यक्ति घर से खड़े-खड़े चलकर आचार्य भगवान को दीक्षा का श्रीफल भेंट करते हैं।
कमला देवी ने अपने जीवन को सार्थक किया यह श्री महावीरजी दीक्षा हेतु 50 दिन पूर्व श्रीफल चढ़ाने के लिए आई थी और टक्कर कारण इनका फैक्चर हो गया इसके बाद भी पीड़ा को सहन किया और स्वस्थ होने पर इन्होंने आर्यिका दीक्षा हेतु पुनः निवेदन किया ।
दीक्षा लेने के बाद समाधि सल्लेखना महत्वपूर्ण है उपवास से ज्यादा महत्वपूर्ण है परिणाम को संभालना
इन दोनो को आशीर्वाद इनका संकल्प पूर्ण हो। आप सभी को भी दीक्षा देखकर व्रत नियम संयम की भावना अंगीकार ग्रहण करना चाहिएप्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री शांतिसागरजी की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी वर्ष 2022 में अपना 54 वा वर्षायोग श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र में पुर्ण कर विराजित है ।इस बेला में दिनांक 2 नवंबर 2022 को 75 वर्षीय क्षुल्लिका श्री शील मति माताजी को आर्यिका दीक्षा दी गई।आपका नूतन नाम आर्यिका श्री शील मति किया गया 7 प्रतिमा धारी कमला देवी का नाम आर्यिका श्री संकल्प मति जी माताजी नामकरण किया गया।
इसके पूर्व दीक्षा संस्कार हुए
दीक्षा समारोह कार्यक्रम सभागार में आयोजित किया।कार्यक्रम का मंगलाचरण किया गया संघस्थ श्री गजू भैया पंडित श्री महावीर जी जोबनेर ,राजेश पंचोलिया ने बताया किसौभाग्यशालीपरिवार की 5 महिलाओं द्वारा चोक पूरण की क्रिया की गई। दीक्षार्थीयो ने आचार्य श्री ने दीक्षा की याचना की तथा आचार्य श्री एवम समस्त साधुओ दीदी भैया श्रावक श्राविकाओं तथा समाज से क्षमा याचना की।इस बेला में आचार्य श्री के द्वारा दीक्षार्थी के पंच मुष्ठी केशलोच किये गए तथा दीक्षा संस्कार मस्तक तथा हाथों पर किये गए। इसके बाद पुण्यार्जक गृहस्थ अवस्था परिवारो द्वारा नूतन आर्यिका श्री जी को पिच्छी कमंडल शास्त्र वस्त्र भेंट किये ।
इन्हे मिला सोभाग्य
आर्यिकाश्री शील मति जी माताजी को पीछी भेंट करने का सौभाग्य श्री मूलचंद काला को प्राप्त हुआ ।कमंडल श्री अंकेश जोबनेर ,शास्त्र भेट करने का सौभाग्य श्रीमती चंदा प्रदीप जी को प्राप्त हुआ। वस्त्र श्री रविकांत आदि द्वारा भेंट किए गए धर्म के माता-पिता बनने का सौभाग्यश्री एवम श्रीमती पदम जी धाकडा को प्राप्त हुआ।
आर्यिका श्री संकल्प मति जी को पिछी श्री शांतिलाल श्रीमती सोनिका कमलेश श्रीमती शशि लोकेश ने भेट की
कमंडल श्री कल्याण आशा हरपल ने वस्त्र देवेंद्र शशि नेशास्त्र श्रीमती आराधना महेंद्र श्रीमती वंदना ,प्रेम बुआ ने भेट किएआज 7 प्रतिमा धारी कमला दीदी के केशलोच हो रहे थे, तब सभी वैराग्यमयी पलों से द्रवित हो रहे थे। परिजनों के दोनों नेत्रों में एक नेत्र में खुशी के आंसू दूसरे नेत्र में दुख था ।दीक्षार्थियों के मंगल स्नान के बाद दीक्षार्थी कमला देवी ने भगवान का पंचामृत अभिषेक किया
उल्लेखनीय है कि अभी तक आचार्य श्री ने 98दीक्षाएं दी है।अब 100 कुल दीक्षाएं हो गई।
इसी श्रृंखला में क्षुल्लिका श्री शील मति की आर्यिका दीक्षा एवम श्रीमती कमला देवी कुणावत उदयपुर को श्री महावीर जी में आर्यिका दीक्षा दी


आचार्यश्री द्वारा 100दीक्षा का इतिहास
29 अतिशय क्षेत्र जिसमे श्रवण बेलगोला में 17 श्री महावीर जी में 10 तथा बिजोलिया पार्श्व नाथ 2
24 सिद्ध क्षेत्रों में शिखर में 8 सिद्धवर कूट में 8 चंपापुर में 6 पपोरा में 01 सोनागिर में 1
16 महानगरों में
31 अन्य नगरों में








सन 1957 में आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज ने श्री वीरमति माताजी को क्षुल्लिका दीक्षा दी । सन 1964 में आचार्य श्री शिव सागर जी महाराज ने छह दीक्षा दी जिसमें मुनि श्री श्रेयांस सागर जी, आर्यिका श्री श्रेयांस मति जी,आ श्री श्रेयांस मति जी , आ श्री अरह मति जी आ कनक मती जी आ श्रीसुशील मति जी आ श्री कल्याण मती जी कुल 6 दीक्षाएं दी थी।





सन 1969 में आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज ने छह मुनि, दो आर्यिका ,दो क्षुल्लक और एक क्षुल्लिका कुल 11 दीक्षा दी थी। जिसमें आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को भी मुनि दीक्षा दी थी। सन 74 में आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी ने मुनि श्री समता सागर जी को मुनि दीक्षा दी
सन 98 में आर्यिका श्री सुपार्श्व मति माताजी ने एक दीक्षा दी। सन 2018 में श्री चेत्य सागर जी महाराज ने एक मुनि दीक्षा दी ।सन 2022 अगस्त माह में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने महावीर जी में पूर्व में 8 दीक्षा दी थी अब 2 दीक्षा मिलाकर 10 दीक्षा होती है ।
कुल मिलाकर श्री महावीर जी में 31 वी दीक्षा है
परिचय
क्षुल्लिका श्री शील मति माताजी की दीक्षा पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारीधी आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के सिद्ध हस्त कर कमलों से 4 अगस्त 2022 को श्री महावीर जी में हुई है।
श्रीमती पतासी बाई श्री केशुलाल की 78 वर्षीय पुत्री श्रीमती कमला देवी का जन्म 26 अक्टूबर 1944 को हुआ है78 वर्षीय कमला देवी पति श्री शांति लाल जी 10 तक शिक्षित होकर 7 प्रतिमा धारी हैं आपके 2 पुत्र श्री लोकेश एवम श्री कमलेश है तथा दो पुत्रियां श्रीमती आराधना एवम श्रीमती वंदना है हैआप 52 दिन पहले श्री महावीर जी दीक्षा लेने की भावना लेकर श्रीफल चढ़ाने आई। अनायास मोटर साइकल की टक्कर लगने कारण अस्वस्थ हो गई। वात्सल्य वारीधी स्वयं तथा संघ के साधु विगत दिनों से संबोधन किया। ऐसा वात्सल्य बहुत कम देखने को मिलता है
पुण्य के सामने शारीरिक कमजोरी ने हार मानी। विगत कुछ दिन पूर्व 7 प्रतिमा धारी कमला दीदी ने पानी तथा मुनक्का पानी छोड़कर अनाज सहित शेष आहार का त्याग कर दिया उल्लेखनीय है कि श्री महावीर जी आचार्य श्री शिव सागर जी की समाधि भूमि तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री धर्म सागर जी को आचार्य पद भूमि तथा आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की दीक्षा स्थली तथा आर्यिका श्री गुण मति माताजी की जन्म एवम दीक्षा भूमि है।
राजेश पंचोलिया इंदौर
वात्सल्य वारिधि भक्त परिवार
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी