अवध शब्द का अर्थ है, जो वध से रहित हो, जिस स्थान पर किसी भी जीव का वध नहीं किया जाता हो, वह नगरी है अवधपुरी। विभव सागर महाराज

JAIN SANT NEWS बल्देवगढ़

अवध शब्द का अर्थ है, जो वध से रहित हो, जिस स्थान पर किसी भी जीव का वध नहीं किया जाता हो, वह नगरी है अवधपुरी। विभव सागर महाराज

बल्देवगढ़

चद्रांप्रभू जिनालय अतिशय क्षेत्र हटा मंदिर में सिद्धचक्रमहामंडल विधान विश्व शान्ति महायज्ञ का आयोजन हो रहा है।

इन अनुपम पलो में आचार्य श्री विभव सागर जी महाराज ने श्रीराम कथा में अयोध्या की भक्ति को बताया उन्होंने कहा कि जहा युद्ध नहीं होते जहां, वह अयोध्या धाम है।

जहां पर किसी भी प्रकार के युद्ध नहीं होते हैं, जो नगरी युद्ध के योग्यनहीं है अथवा जो भूमि (नगरी) किसी भी योद्धा के द्वाराजीती नहीं जा सकती, ऐसीअयोध्या नगरी है। इस भूमि को
अन्य दूसरे नामों में साकेत अवधपुरी के नाम से भी जानाजाता है।

अवध शब्द का अर्थ बताया

उन्होंने  अवध शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा की जो वध से रहित हो, जिस स्थान पर किसी भी जीव का वध नहीं किया जाता हो, वह नगरी है अवधपुरी। आगे कहा कि भारतीय संस्कृति की धारा दो संस्कृति से मिलकर बहती है, एक श्रमण संस्कृति, दूसरी वैदिक संस्कृति ।श्रमण संस्कृति में श्रमण धर्म केप्रर्वतक चौबीस तीर्थंकर औरचौबीस तीर्थंकर क्षत्रिय कुल में पैदा हुए। सबसे बड़ी विशेष बातहै कि जितने भी तीर्थंकर पैदा होते हैं, उन सब में प्रत्येक तीर्थंकर काजन्म कल्याणक अयोध्या नगरी में ही मनाया जाता है। इसके साथही अयोध्या नगरी में अन्य तीर्थंकरों के भी कल्याणक मनाएगए। इस नगरी को मात्र श्री रामकी जन्मभूमि ही नहीं अपितु यहकह सकते हैं कि यह नगरी भगवंतों की पुण्य प्रसूता जन्म नगरी है।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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