निर्यापकाचार्य पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ससंघ सानिध्य में 105 आर्यिका श्री संकल्प मति जी ने सल्लेखना धारण कर संस्तारारोहण किया।
श्री महावीर जी
श्री शान्ति वीरशिव धर्माजित वर्धमान सूरिभ्यो नमः
अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी में निर्यापकाचार्य पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ससंघ सानिध्य में 105 आर्यिका 185 श्री संकल्प मति जी ने सल्लेखना धारण कर संस्तारारोहण किया।वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित श्री महावीर जी विराजित हैं।
आज 6 नवंबर 2022 को आर्यिका 105 श्री संकल्प मति माताजी ने निर्यापकाचार्य आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी सहित समस्त संघ से क्षमा याचना कर संस्तारारोहण धारण किया।
संस्तरारोहण के अर्थ पर नजर
संस्तर से आशय क्षपक साधु जहाँ
बैठते है लेटते है उस स्थान का आरोहण करना स्वीकार करना
संस्तारारोहण कहलाता है।
आप आचार्य श्री शान्ति सागर जी की गौरव शाली परंपरा में दीक्षित है वर्धमान सागर जी
आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज ने क्षपकोत्तमा आर्यिका 105 श्री संकल्पमति माताजी को संबोधन देते हुए आचार्य श्री ने बताया कि आप आचार्य श्री शान्ति सागर जी की गौरव शाली परंपरा में दीक्षित है।आपको देव शास्त्र एवम गुरुओ के प्रति सचेत रहते हुए आत्मा और शरीर अलग अलग है।आत्मा और शरीर की भिन्नता का चिंतन करते हुए उत्तम समाधि करना है।
संकल्पमती माताजी का जीवन परिचय


आर्यिका 105 श्री संकल्पमतिमाताजी का दीक्षा के पूर्व नाम श्रीमती कमला देवी उदयपुर था। आपने पूर्व से सात 7 प्रतिमा की व्रती है ।शरीर की नश्वरता को समझ कर आप 55 दिन पूर्व श्री महावीर जी वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज को दीक्षा के लिए निवेदन करने आई ।अनायास वाहन की टक्कर कारण फेक्चर हो गया।

78 वर्षीय कमला देवी के निवेदन पर दिनांक 2 नवंबर 2022 को वात्सल्य वारीधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से महावीर जी में आर्यिका दीक्षा दी।
राजेश पंचोलिया वात्सल्य वारिधी भक्त परिवार
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी