आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का हुआ समाधि मरण

*☀विद्यागुरू समाचार☀*

पूरे विश्व में शोक की लहर छाई, आचार्य श्री की 77 वर्ष, 4 माह, 8 दिन की उम्र, 11 फरवरी को जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड में ब्रह्मांड के देवता की उपाधि दी

▶ 56 वर्ष तक चर्या का पालन किया

▶ पूरे देश में जैन समाज का व्यापार बंद रहा

▶ भारत के लोगो ने श्रद्धांजलि दी

युग दृष्टा ब्रहमांड के देवता आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का समाधि मरण 17 फरवरी 2024, शनिवार तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी दशलक्षण महापर्व के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि में 2.35 बजे वह ब्रह्म में लीन हो गए.
हम सबके प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण करली थी. पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन से उपवास धारण किये हुए (शायद हमेशा के लिए) आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था एवं प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था 8 फरवरी 2024 को चतुर्दशी प्रतिक्रमण करने के बाद 9 फरवरी 2024, शुक्रवार को दोपहर शौच से लौटने के उपरांत साथ के मुनिराजों को अलग भेजकर निर्यापकं श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था. उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम दीक्षित मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जावे ऐसी घोषणा कर दी थी

गुरूजी को यम संलेखना संबोधन निर्यापक श्रमण मुनि श्री योगसागर जी, निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर जी, निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसादसागर जी, मुनि श्री पूज्य सागर जी, मुनि श्री चन्द्रप्रभसागर जी, मुनि श्री पूज्यसागर जी, मुनि श्री महासागर जी, मुनि श्री निष्कम्प सागर जी, मुनि श्री निरामयसागर जी, मुनि श्री निस्सीमसागर जी, ऐलक श्री निश्चयसागर जी, ऐलक श्री धैर्यसागर जी ब्रह्मचारी विनय भैया सम्राट बण्डा (बेलई) ब्रह्मचारी तात्या भैया,ब्रह्मचारी अशोक भिलवड़े, मधुर देवरी की मौजूदगी में संपन्न हुई, गुरुवर्य श्री जी का डोला 18 फरवरी 2024 को चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र डोंगरगढ जिला राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में दोपहर में निकाला गया, एवम् चन्द्रगिरि तीर्थ पर ही पंचतत्व में विलीन किया गया, पूरे देश से लोग शामिल हुए सल्लेखना के अंतिम समय श्रावकश्रेष्ठी अशोक जी पाटनी आर के मार्बल, वंडर सीमेंट परिवार किशनगढ़, राजा भाई सूरत प्रभात जी मुम्बई, अतुल शाह पुणे, डॉ सुहास शाह मुम्बई, डॉ स्वप्निल सिंघई व डॉ गौरव शाह पूर्णायु जबलपुर, विनोद बडजात्या रायपुर, किशोर जी चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष डोंगरगढ़ भी उपास्थित रहे.

ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज

उनका जन्म 10 आक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन

हुआ था. उनके पिता श्री मल्लप्पा जी थे, जो बाद में मुनि श्री मल्लिसागर बने.उनकी माता श्रीमंती थी जो बाद में आर्यिका श्री समयमति माताजी बनी.

विद्यासागर जी को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने दीक्षा दी, जो आचार्य शांतिसागर शिष्य थे.आचार्य विद्यासागर जी को 22 नवम्बर 1972 में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी द्वारा आचार्य पद दिया गया था, आपके सभी घर के लोग दीक्षा ले चुके है.
ब्रह्मचारी अनंतनाथ जी(वर्तमान में निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी महाराज) और शांतिनाथ जी (वर्तमान में आचार्य श्री समय सागर जी महाराज) आचार्य श्री विद्यासागर जी ने संस्कृत, प्राकृत सहित, विभिन्न आधुनिक भाषाओं हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में विशेषज्ञ स्तर का ज्ञान अर्जन किया था, उन्होंने हिन्दी और संस्कृत की विशाल मात्रा में रचनाएँ की हैं.100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है. उन्होंने द्वारा रचित महाकाव्य मूकमाटी है जो भारतीय ज्ञान पीठ दिल्ली से प्रकाशित है. विभिन्न विद्यालय, महाविद्यालय, संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है. आचार्य श्री विद्यासागर जी कई धार्मिक कार्यों में प्रेरणास्त्रोत रहे हैं. कोई बैंक खाता नही कोई ट्रस्ट नही, कोई जेव नही, कोई मोह माया नही, अरबो रुपये जिनके ऊपर निछावर होते थे उन गुरुदेव के कभी धन को स्पर्श नही किया.

इतना कठिन जीवन के बाद भी मुख मुद्रा स्वर्ग के देव सी…..

ऐसे हम आचार्य श्री विद्या सागर जी के चरणों में शत शत नमन नमन नमन

जबलपुर अजमेर ट्रेन जिसे दयोदय एक्सप्रेस कहा जाता है, का नाम इसके गुरु की उत्कृष्ट कृति के नाम पर रखा गया था. मानव सेवा और शिक्षा फार्मेसी कॉलेज नर्सिंग कॉलेज भाग्योदय तीर्थ सागर में कार्य कर रहा है. बीना बरह, मंडला, भोपाल, कुंडलपुर, खजुराहौं, मुंबई, अशोकनगर, जगदलपुर, डिंडोरी में हैंडलूम का संचालन हो रहा है: जिसमें कपडे अहिंसक तरीके से बनाए जा रहे हैं और युवाओं और कैदियों को जेल में रखा जा रहा है और शांति धारा दूध योजना चल रही है जिसमें 500 से अधिक गायों को पाला जा रहा है और दूध घी आदि. इसका उत्पादन शुद्ध वस्तुओं में किया जा रहा है. सभी वस्तुओं का उत्पादन जैविक विधि के माध्यम से आचार्य श्री विद्यासागर अनुसंधान संस्थान भोपाल द्वारा विभिन्न पदों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है.

135 गौशालाओं में लाखों जानवरों का संरक्षण किया जा रहा

भारतीय प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान जबलपुर में स्थित है, जहां हजारों युवाओं ने शिक्षण के माध्यम से प्रशासन के उच्च पदों को प्राप्त किया है.
सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने गायों के ऐतिहासिक वध पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया बैलों के संरक्षण और रोजगार के लिए गंज बासौदा विदिशा में दयोदय जहाज का वितरण किया गया *आचार्य विद्यासागर जी गौ संवर्धन योजना भी मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा चल रही है उनके दर्शन से पहले देश भर में लगभग 135 गौशालाओं में लाखों जानवरों का संरक्षण किया जा रहा है स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई वर्तमान | श्री नरेंद्र मोदी जी और कई मुख्यमंत्री और कई राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, आयोग के अध्यक्ष और कई अच्छे काम किए गए हैं विशिष्ट पदों वाले लोंगों, राजनेताओं के साथ चर्चा के दौरान, विचारक, विचारक, साहित्यकार, शिक्षक, न्यायाधीश, डॉक्टर, डॉक्टर, प्रकाशक, समाज सेवा कार्यकर्ता, उद्योगपति, वकील, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, कुलपति, आदि : जो लोग आपकी दृष्टि में आए उन्हें मार्गदर्शन मिला.

देश के कई राज्यों में किया विहार

आपने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि में बिहार किया है. उन्होंने 1969 से मीठे नमक का त्याग किया. चटाई को 1985 से छोड़ दिया गया है. 1994 से फलों की सब्जियों को छोड़ दिया गया है. 9 निर्जल उपवास लगातार आपने किया .

आपके द्वारा

● आजीवन चीनी का त्याग, आजीवन नमकं का त्याग, आजीवन चटाई का त्याग, आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, एलोपैथी औषधि का त्याग, सीमित ग्रास भोजन, सीमित अंजुली जल, 24 घण्टे में एक बार 365 दिन

● आजीवन दही का त्याग, सूखे मेवा (ड्राई फूट्स) का त्याग, आजीवन तेल का त्याग, सभी प्रकार के भौतिक साधनो का त्याग, थूकने का त्याग, एक करवट में शयन बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तखत पर किसी भी मौसम में.

● पूरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले एक ऐसे संत जो सभी धर्मो में पूजनीय ‘

● पूरे भारत में एक ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है रूपक कथा कविता, आध्यात्मिकता, दर्शन और युग चेतना का संगम है . संस्कृति, लोगों और भूमि के महत्व को स्थापित करते हुए, आचार्यश्री ने इस महाकाव्य के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान को पुनर्जीवित किया. उनके उपदेश, भाषण, प्रेरणा और आशीर्वाद के साथ, अनेको तीर्थ, भाग्योदय तीर्थ मंदिर निर्माण औषधालय, अनेको अस्पताल, प्रतिभास्थूली, हाथ करघा, त्रिकाल चौबीसी आदि. कई स्थानों पर स्थापित किए गए हैं और कई स्थानों पर निर्माण चल रहा है. विकलांगों के लिए कितने शिविर, कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, बैसाखी, तीन पहिया साइकिल वितरित किए गए .

इच्छा थी और उचित दृष्टि और संयम उनका संदेश था

शिविर में आंखों के ऑपरेशन, दवाइयां व चश्मे का निःशुल्क वितरण हुआ. सर्वोदय तीर्थ निःशुल्क सहायता केंद्र अमरकंटक में कार्य कर रहा है . पशु और पशु दया की भावना के साथ, दयोदय गौशाला देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित की गई है जहां हजारों वध किए गए जानवरों को लाया और संरक्षित किया जा रहा है. यह आचार्य श्री जी की भावना थी कि पशु मांस के निर्यात के खिलाफ जन जागरूकता अभियान किसी भी पार्टी, धर्म या समाज तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी राजनीतिक दलों, समाज, दान और व्यक्तियों की सामूहिक भागीदारी होनी चाहिए.

शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारो पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना

अनियत विहारी यानि बिना बताये पद विहार करते थे

● प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पिच्छि परिवर्तन इसका उदाहरण

● आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज से जब ब्रह्मचर्य व्रत के लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिन बिना जल भोजन के उपवास किया और स्वीकृति लेकर माने

● ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवार जनो से चर्चा करने अपने गुरु से स्वीकृति लेते थे और परिजनों को पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजते थे.

● आचार्य भगवन जो न केवल मानव समाज के उत्थान के लिए इतने दूर की सोचते थे वरन मूक प्राणियों के लिए भी उनके करुण हृदय में उतना ही स्थान था.

● शरीर का तेज ऐसा जिसके आगे सूरज का तेज भी फीका और कान्ति में चाँद भी फीका था हम धन्य है जो ऐसे महान गुरुवर का सनिध्य हमे प्राप्त हुआ

● प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति सभी के पद से अप्रभावित साधना में रत गुरुदेव

● हजारो गाय की रक्षा, गौशाला समाज ने बनाई.

● हजारो बालिकाओ को संस्कारित आधुनिक स्कूल

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