पवई राष्ट्र संत गंणाचार्य बुंदेलखंड के प्रथम जैनाचार्य 108 श्री विराग सागर जी महाराज की समता पूर्वक समाधि 04 जुलाई को शास्त्रों के अनुसार विधि विधान से हो चुकी जिसको लेकर जैन समाज पवई एवं नगर वासियों के द्वारा भावपूर्ण विनयांजलि कृतज्ञांजलि का आयोजन 1.2 जुलाई 2024 शुक्रवार को महाराष्ट्र प्रांत औरंगाबाद के पास जालना की तरफबिहार करते हुए देवमूर्ति ग्राम में चैतन्य अवस्था में समाधि मरण संलेखना के समय गणांचार्य विराग सागर जी महाराज के साथ में लगभग 35 पिच्छी श्रमण परंपरा के जैन संत एवं आर्यिका माताजी का संघ साथ में चल रहा था। अचानक 03 जुलाई को दोपहर 3.00 बजे आचार्य श्री ने अपने साथ में चल रहे साधु संतों को संबोधित करते हुए बताया समय का भरोसा नहीं है जो भी करना हो समय रहते कर लेना चाहिए, और उन्होंने विहार करा रहे और कहा कि यह सूचना मेरे ना होने के उपरांत ही घोषित की जाए। कुछ ही घंटे के उपरांत रात्रि लगभग 2.00 बजे लघुशंका के उपरांत चारों दिशाओं में दिग्वंदना करते हुए समाधि में बैठ गए और पूर्ण शांति भाव से हमेशा के लिए शांत हो गए।