दुख का मूल कारण राग द्वेष –
मुनि शुभम साग़र मुनि शुभम सागर मुनि सक्षम सागर का भींडर से हुआ विहार
भींडर।
दुख का कारण राग द्वेष है।किसी परद्रव्य को अपना मानना ही दुख का मूल कारण है। व्यक्ति जीवन भर भौतिक संसाधनों को अपना मान कर उलझन मे जिंदगी जीता है। लेकिन अंत समय मे सब यही छोड़ कर जाना पड़ता हैं। व्यक्ति दुसरो की उन्नति वैभव से द्वेष करके दुखी रहता है। अपनी आत्मा अनंत सुख का सागर है यदि व्यक्ति आत्मा मे लीन होकर सदैव परमात्मा की भक्ति करे । भेद विज्ञान से चिंतन करते हुए जीवन जिये तो कभी दुखी नही होगा। उक्त संबोधन मुनि शुभम सागर महाराज ने दोपहर मे शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मे आयोजित धर्म सभा मे प्रवचन के दौरान कहे।
जीवन में सोच सकारात्मक रखें तो जीवन मंगलमय हो जाएगा सक्षम साग़र जी
मुनि श्री सक्षम सागर महाराज ने कहा कि जीवन मे सोच हमेशा सकारात्मक रखे तो जीवन मंगलमय हो जायेगा। नकारात्मकता कभी आगे नही बढ़ने देगी। प्रवक्ता अनिल स्वर्णकार ने बताया कि धर्मसभा पश्चात शाम 5:30 बजे मुनिश्री का भींडर से अतिशय क्षेत्र सालेड़ा के लिए मंगल विहार हुआ। द्व्य मुनिश्री का रविवार रात्रि प्रवास सालेड़ा और सोमवार को आहारचर्या मंगलवाड में होगी। द्व्य मुनिश्री का खेड़ी से चित्तौड़गढ़ के लिए मंगल विहार चल रहा है। द्व्य मुनिश्री के सानिध्य मे 4 मई को सांवलियाजी और 6 मई को मधुवन चित्तौड़गढ़ मे दिगम्बर जैन मंदिर के भूमि पूजन शिलान्यास होंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी