जानिए इन तीन जैन बटियों ने अपने पिता की जान बचाने के लिए क्या किया?

JAIN SANT NEWS बीना

बीना। लिवर की बीमारी से जूझ रहे किसान पिता को बचाने में उनकी तीन बेटियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटों से बढ़कर न सिर्फ देखरेख की, बल्कि बड़ी बेटी ने लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा देने में भी संकोच नहीं किया। बावजूद इसके लिवर ट्रांसप्लांट के 40 दिन बाद पिता की मौत हो गई। तीनों बेटियों ने बेटे का धर्म निभाते हुए गुरुवार शाम कटरा मंदिर मुक्तिधाम में पिता का अंतिम संस्कार कर किया। पिता के प्रति बेटियों का यह समर्पण समाज के लिए आदर्श है।

शाह कालोनी में रहने वाले राजेश पिता महेंद्र जैन (58) बसहारी गांव के मूल निवासी है। वर्षों पहले वह परिवार के साथ शहर में आकर रहने लगे थे। वह अपनी पत्नी सुमन और तीनों बेटियों हिमांशी जैन (28), रूपल जैन (25) और सबसे छोटी बेटी जैनिशा जैन (22) के साथ रहते थे। पिछले कुछ सालों से वह बीमार चल रहे थे। इस दौरान उनका अलग-अलग अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन कहीं आराम नहीं मिला।

कुछ महीने पहले भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज करने पर पता चला कि उनका खराब हो चुका है। पिता का अच्छे से अच्छा इलाज कराने के लिए हिमांशी और रूपल उन्हें दिल्ली लेकर पहुंचीं। जांच के दौरान डाक्टरों ने कहा कि बिना लिवर ट्रांसप्लांट मरीज की जान बचाना मुश्किल है। डाक्टर की बात सुनकर बेटियों के सामने भयंकर संकट खड़ा हो गया। एक तरफ जहां बेटियों को 30 लाख रुपये का इंतजाम करना था तो वहीं दूसरी और लिवर दान करने वाले की तलाश थी।

मुसीबत के समय बेटियों ने हार नहीं मानी और अपने दम पर सारी व्यवस्थाएं करने का फैसला किया। बड़ी बेटी हिमांशी ने पिता की जान बचाने अपने लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा पिता को दे दिया तो साफ्टवेयर इंजीनियर बेटी ने करीब 20 लाख रुपये का इंतजाम किया। 16 जून को आपरेशन के बाद पिता की सेहत में तेजी से सुधार होने पर बेटिओं ने राहत की सांस ली, लेकिन एक सप्ताह पहले पिता की अचानक तबियत बिगड़ गई और 27 जून को पिता की मौत हो गई

नवदुनिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *