कड़वे प्रवचन वाले मुनि तरुण सागर को बेहद पसंद था मीठा, जलेबी के लिए लडऩे भी रहते थे तैयार

दमोह. जिनके मुख से हमेशा कड़वे बोल निकलते थे। किसी को अच्छा लगे या बुरा। मुनिश्री कहते थे कि मैं बोलना स्पष्ट हूं, लोगों को कड़वा लगता है तो क्या करूं। लोग कड़वा-कड़वा करते हैं तो मैने अपने प्रचवन श्रृंखला को ही कड़वे प्रवचन का नाम दे दिया। मुनि तरुण सागर भले ही कड़वे प्रवचन […]

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प्रात: स्मरणीय

परम पूज्य प्रात: स्मरणी श्री १०८ प्रथम गणाधिपति-प्रथम गणधराचार्य-निमित्त ज्ञानी-शताधिक मुनि-आर्यिका-दीक्षा प्रदाता-दीर्घ तपस्वि सम्राट-अष्ट व्यंतर-भवन वासी देवों से परि पूजित-अध्यात्म शिरोमणि-समव सरणरक्षक ९६ क्षेत्रपाल-लघु विद्यानुवाद आदि शताधिक ग्रंथ रचयिता-२० आचार्यों के विद्यमान जेष्ठ-श्रेष्ठ गुरुनां गुरु-आर्ष परंपरा रक्षक-मोक्ष मार्ग पथ गामी-पुरोहित हित रक्षक-बृहत् त्रिलोक महा मंडल आराधना के प्रेरक-कुंथु गिरि-निश्चय गिरि-गौतम ऋषि गिरि-नवग्रह तीर्थ-णमोकार तीर्थ के […]

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जैन धर्म

भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें जैन ध्वज जैन धर्म विश्व के सबसे प्राचीन दर्शन या धर्मों में से एक है। यह भारत की श्रमण परम्परा से निकला तथा इसके प्रवर्तक हैं 24 तीर्थंकर, जिनमें अंतिम व प्रमुख महावीर स्वामी हैं। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख साहित्य और विशेषकर पौराणिक साहित्यो में प्रचुर मात्रा में हैं। वैदिक […]

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