विद्यासागर जी का आशीर्वाद हमारी पूंजी

जीवन में हम बहुत कम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिनके निकट जाते ही मन- मस्तिष्क एक सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है. ऐसे व्यक्तियों का स्नेह, उनका आशीर्वाद, हमारी बहुत बड़ी पूंजी होता है. संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज मेरे लिए ऐसे ही थे. उनके समीप अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार […]

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विद्याधर से विद्यासागर

😍 #अंतिमपोस्ट 💐 #शेयर 🤗 #विद्याधरसे_विद्यासागर (किताब)😍 साहित्यकारों और कलाकारों को सदा अपनी मुस्कानों से अभिसिंचित करते हैं और उन्हें उद्देश्य की ओर सक्रिय रहे आने की प्रेरणा और वातावरण देते हैं। वर्तमान साधु-समाज के बीच वे एकमात्र ऐसे आचार्य हैं जो कहीं भी विवादग्रस्त नहीं हैं। उनसे कई साधुओं ने लाभ पाया है। उनके […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 गुरुवर की छाया से छूटे आचार्य विद्यासागर स्वतः छायावान हो गये और उनकी छाया तले धीरे धीरे कई नये, चरित्र और ज्ञान के पौधे फलने फूलने लगे। वे परम ज्ञानी विद्यासागर जैन वाङ्मय के अधिकारी विद्वान् के रूप में देश की माटी की गरिमा बढ़ा रहे हैं। अनेको महान् ग्रन्थों का […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 विद्यासागर जैसे मनीषी शिष्य और ज्ञानसागर जैसे ज्ञानी गुरु को देख नसीराबाद (राज.) के जैन समाज के अनुरोध पर दिनांक ७ फरवरी, १९६९ शुक्रवार को गुरु ज्ञानसागरजी को आचार्यपद से विभूषित कर दिया। गुरु-सेवा, तत्त्व- चिंतन और अध्यात्म-मनन के साथ विद्यासागरजी श्रमणसंघ में निरन्तर सक्रिय रहे। महान् ग्रंथों के तलस्पर्शी अध्ययन […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 शरद पूर्णिमा की रात्रि आश्विन शुक्ल १५ सम्वत् २००३, दिन गुरुवार को ग्राम सदलगा (जिला-बेलगाँव, कर्नाटक) में, प्रातः स्मरणीय माता श्रीमंती जी एवं नर-स्न पूज्य मल्लप्पाजी जैन के यहाँ जन्म लेने वाले शिशु का वर्तमान परिचय यही तो है। बिन्दु जैसे सिन्धु बन गया हो। पूर्णिमा का चाँद जैसे सूर्य बन […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 सच, उनके आदर्श हिमालय से ऊँचे हैं, उनकी वाणी से निःसृत ज्ञानगंगा नील से बड़ी है, उनके यश के फैलाव के समक्ष एशिया महाद्वीप का क्षेत्रफल छोटा लगने लगा है और उनकी चिन्तन मनन की गंभीरताएँ प्रशांत सागर को उथला सिद्ध कर रही हैं। वे परम गुरु, वे परम धन्य संत, […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 परम पूज्य आचार्य #विद्यासागरजी का नवीन परिचय;नदी, पर्वत, महाद्वीप और महासागर पर से हटकर चलता है जिनका परिचय उन्हें कागज स्याही में कैसे बाँधा जा सकता है। नदी जो देश में ही नहीं, विश्व में सबसे बड़ी हो वह है नील नदी, छः हजार किलोमीटर से अधिक है उसकी लम्बाई पर्वत […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 श्रद्धेय ज्ञानसागर परम ज्ञानी थे। वे ब्रह्मचारी जी की आवाज में सच्चाई पा रहे थे, मगर वे यह भी सोच रहे थे कि सल्लेखनाव्रत यदि उन्हें दे दिया तो उनकी वैयावृत्ति कौन करेगा। वे स्वतः अपने तन को वृद्ध और दुर्बल पा रहे थे। सोचते सोचते उनकी आँखें विद्यासागर के चेहरे […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 ब्र. #पन्नालालकीसमाधि :जिस स्थल पर मुनि प्रवर ज्ञानसागरजी अपने शिष्य विद्यासागर के साथ चातुर्मास अवधि पूर्ण कर रहे थे उसे कुछ लोग केशरगंज कहते थे, कुछ केशरियागंज। इसी केशरियागंज में तात्कालीन ब्रह्मचारी श्री पन्नालाल जैन अपने जर्जर शरीर की फटकार सहते सहते, पीड़ा महसूस करने लगे थे। उन्हें एक दिन विद्यासागरजी […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 ज्ञानकेसमुद्रमेंपीड़ाकाज्वालामुखी: कुछ दिनों से पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर के शरीर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी थी। उनका कष्ट लोगों से न देखा जाता हर गठान में दर्द। घुटने, टिहुनी आदि सभी जोड़ों में पीड़ा दर्द होना भी स्वाभाविक था, क्योंकि उम्र भी तो ८० को पार कर चुकी थी। गर्दन का […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 -अच्छा पंडित जी। दूसरे दिन स्नानोपरान्त ग्वाला पंडित से पूर्व कुँए पर आया, उसके बच्चे, पत्नी एवं अन्य स्वजन पनघट के पास खड़े हो गए, वह धम्म से कुँए में कूद गया। आवाज सुनकर पंडित घर से बाहर आया, उपस्थित लोगों से कारण जाना और वहीं खड़ा हो गया। ग्वाला जो […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 कन्नड़ भाषा भाषी श्रावकों ने फिर मुनि विद्यासागरजी से प्रार्थनाकी, उनने निवेदन स्वीकार करते हुए प्रवचन दिया। प्रवचन से पूर्व किसी विद्वान् ने पूछा था महाराज आपको वैराग्य भाव कैसे ही आया था? चूँकि मुनि विद्यासागर प्रवचन देने वाले थे, सो उनने पृथक् रूप से कोई उत्तर न दिया, बोले- बस, […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 वैराग्यकेबीज : दो माह तक ज्ञानसागरजी के प्रवचन श्रवण का सुयोग पाया, वेबालकद्वय जो कुछ समझ रहे थे, उससे कोई पृथक भूमि का निर्माण हो रहा था उनके किशोर हृदय में, जिसे वे स्वतः न अनुभूत कर पा रहे थे। गुरु ज्ञानसागरजी अपने प्रवचन के पूर्व आदि-महामंत्र- णमोकार अवश्य बोलते थे, […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 वर्षायोग: केशरगंज (अजमेर) के नागरिकों का भाग्योदय था कि मुनिसंघ ने चातुर्मास की स्थापना वहाँ कर ली। ज्ञानसागरजी का चातुर्मासी कार्यक्रम प्रारम्भ हो चुका था। लोग पल-पल का समय जोड़ते खड़े रहते, पर मुनिश्री का समय मुश्किल से ही मिल पाता। जब गुरु का समय न मिलता, तो शिष्य का तो […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 रोगकाआभार, #गुरुकीस्तुति : परीषह आकर चला गया तपस्वी जहाँ के तहाँ अड़िग रहे।उन्होंने रोग को धन्यवाद दिया उसके कारण परम पूज्य गुरुवर ज्ञानसागरजी के मुख से स्वाध्याय सुनने का गौरव मिला। मिला उनके चरणों में अधिक देर तक रुकने का सान्निध्य। विद्यासागर मुनि दीक्षा के बाद से ही अपने भावों को […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 दवाओं ने आराम न पहुँचाया सो एक दिन नेत्र विशेषज्ञ आ पहुँचे भक्तों के साथ उनने देखा दाखी की परामर्श दिया चश्मा लगाना पड़ेगा। गुरु ज्ञानसागरजी चकित, इतनी सी उम्र में चश्मा! न कोई और बात करो। चले गए विशेषज्ञ । आँख का दर्द न घट रहा था न बढ़ रहा […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 श्रद्धाकेडेरापरफ्लूकाझंड़ा: सम्पूर्ण अजमेर चाँद और सूरज का प्रकाश का एक साथ पा रहा था। लोगों में भक्ति संचार करने वाली लहरों का क्रम बढ़ता जा रहा था। तभी वहाँ आँखों की बीमारी फैली-‘आई फ्लू’। उसका राज्य हर आँख पर दिखने लगा। जिन आँखों में मुनियों की छवि अँजी रहती थी वे […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 चलेमूलकथाकीओर : गुरुवर ज्ञानसागरजी कुछ उत्तम श्रावकों के साथ चर्चा कर रहे थे। समीप ही बैठे थे विद्यासागरजी लोग गुरु की ओर देखकर नजर उठाते तो विद्यासागर के मुखमंडल पर धर देते, वहाँ से उठाते तो ज्ञान सागर के तब तक एक प्रौढ़ व्यक्ति पूछ बैठा- “गुरुवर, आपने दीक्षा कब ली […]

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विशेष 😍 #शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 एक दिन उनके अंतस में स्थापित ज्ञान ने सम्यक चरित्र का आह्वान किया तो वे ५१ वर्ष की उम्र में गृह त्याग कर चल पड़े दीक्षा पथ पर संवत् २००४ में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और ८ वर्ष ब्रह्मचारी अवस्था में व्यतीत किये। फिर सम्वत् २०१२ में क्षुल्लक दीक्षा […]

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शेयर 🤗 #विद्याधरसेविद्यासागर (किताब)😍 पं० भूरामलजी की सरल सात्विक प्रवृत्ति को लेकर एक सुन्दर आख्यान मिला है। आचार्य शांतिसागरजी के पट्ट शिष्य आचार्य वीरसागरजी के संघ में पं. भूगमलजी संघस्थ साधुओं को अध्ययन कराते थे। संघस्थ साधुओं के कमंडलु में प्रासुक जल भरने वाला एक ब्रह्मचारी नियुक्त था, वह भूगमल के स्वभाव से परिचित था। […]

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