बिना सहजता, सौम्यता, समर्पण के प्रभु की भक्ति नहीं हो सकतीपहले पाप होता है फिर अपराध:विज्ञमती माताजी
बिना सहजता, सौम्यता, समर्पण के प्रभु की भक्ति नहीं हो सकतीपहले पाप होता है फिर अपराध:विज्ञमती माताजी गणधर वलय स्तोत्र सेमिनार में बह रही ज्ञान की गंगा ग्वालियर, हम जो गलत कर्म करते हैं, वह जब तक हमारे मन में रहते हैं, तब तक पाप होते हैं। जब ये पाप शरीर में प्रकट हो जाते […]
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