‘व्रत में सुख की हुई अनुभूति को शब्दों में समेटना असम्भव’
बेंगलुरु। ‘मुझे यह कहते हुए अपार प्रसन्नता है कि तीर्थंकर भगवान के आशीर्वाद से मेरे सोलह कारण भावनाओं के व्रत पूर्ण हुए। इस बीच कई बार ऐसे कई मौके भी आए, जब मनोबल टूटने लगा। लगा कि ये सोलह कारण व्रत पूरे कैसे कर पाऊंगी। पर साधना पूरी हुई और अनुष्ठान भी निर्विघ्न पूरा हो गया।’ […]
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