भाग दस : मैं रावण… मेरा अंतिम संवाद! – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
रावण @ दस : भाग दस पिछले नौ दिनों में मैंने आपको मेरे जीवन के शुभ-अशुभ से मिले परिणामों को बताया। कर्मों की गति निराली है- कब ज्ञानी अज्ञानी बन जाए और कब अज्ञानी, ज्ञानी हो जाए… कोई नहीं जानता। आज आपसे मेरी आखरी वार्ता… कुछ भावुक है तो कुछ उपदेशात्मक। आज मैं आपसे अपने […]
Continue Reading